________________
द्रव्यसग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका उत्तर---परिकर्मके ५ भेद है-(१) चन्द्रप्रज्ञप्ति, (२) सूर्यप्रज्ञप्ति, (३) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, (४) द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, (५) व्याख्याप्रज्ञप्ति ।
प्रश्न ११०-चूलिकाके कितने भेद है ?
उत्तर-चूलिकाके ५ भेद है-(१) जलगता, (२) स्पलगता, (३) मायागता, (४) आकाशगता और (५) रूपगता।
प्रश्न १११-पूर्वके कितने भेद हैं ?
उत्तर-पूर्वके १४ भेद है-(१) उत्पादपूर्व, (२) अग्रायणीपूर्व, (३) वीर्यानुवाद, (४)- अस्तिनास्तिप्रवादपूर्व, (३) ज्ञानप्रवादपूर्व, (६) सत्यप्रदादपूर्व, (७) आत्मप्रवादपूर्व, (८) कर्मप्रवादपूर्व, (६) प्रत्याख्यानवादपूर्व, (१० विद्यानुवादपूर्व, (११) कल्याणवादपूर्व, (१२) प्राणवादपूर्व, (१३) क्रियाविशालपूर्व और (१४) लोकविन्दुसारपूर्व।।
प्रश्न ११२-परिमाणकी अपेक्षा कहे गये १८ प्रकारके अक्षरात्मक श्रुतज्ञानमे से किन भेदोमे किन अग पूर्व आदिका समावेश होता है ?
उत्तर-चौदह पूर्वोको छोड़कर बाकी श्रुतज्ञान वस्तु समासपर्यन्त १६ भेदोमे समाविष्ट है और चौदह पूर्व पूर्वश्रु तज्ञान पूर्वसमासश्रुतज्ञानमे समाविष्ट है।
प्रश्न ११३- श्राचाराङ्गमे कितने पद है और किसका वर्णन है ?
उत्तर- इसमे मुनियोके आचारका वर्णन है कि वह किस तरह समस्त प्राचरण करे, यत्नपूर्वक भाषण करे, यत्नपूर्वक आहार विहार करे आदि । इस अङ्गमे ८ हजार पद हैं । एक पदमे १६३४८३१७८८८ अक्षर होते हैं ?
प्रश्न ११४- सूत्रकृताङ्गमे कितने पद है और किसका वर्णन है ?
उत्तर-सूत्रकृताङ्गमे ३६ हजार पद है। इस अङ्गमे सूत्रोके द्वारा ज्ञान विनय आदि अध्ययन क्रिया, कल्प्याकल्प्य आदि व्यवहारवर्मक्रिया व स्वसमय और परसमयके स्वरूपका वर्णन है।
प्रश्न ११५- स्थानाङ्गमे कितने पद है और किसका वर्णन है ?
उत्तर- स्थानाङ्गमे ४२ हजार पद हैं। इस अङ्गमे प्रत्येक द्रव्योके १, २, ३ आदि अनेक भेद, विकल्पोका वर्णन है । जैसे जीव एक है, जीव दो है-मुक्त और ससारी । जीवके तीन भेद है-कर्ममुक्त, जीवन्मुक्त, ससारी इत्यादि ।
प्रश्न ११६- समवायांगमे कितने पद है और किसका वर्णन है ?
उत्तर- इसमे १ लाख ६४ हजार पद है। इस अङ्गमे सदृश विस्तार वाले सदृश धर्म वाले, सदृश सख्या वाले जो जो पदार्थ हैं उन सबका वर्णन है। जैसे ४५ लाख योजन वाले ५ पदार्थ है- ढाई द्वीप, सिद्धक्षेत्र भादि ।