Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 05
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
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વિષયમાર્ગદર્શિકા
17 વિષય
પૃષ્ઠ વિષય
પૃષ્ઠ શૂન્યવાદ પ્રત્યક્ષવિરુદ્ધ
१७१६ | घशानसामग्री में ०४ धर्मशानसामी : भीमांसा . १७२७ प्रकरणपञ्चिकासंवादः
............१७१७ | शराव-कर्पूरगन्धप्रतिभासविचारः .....................१७२८ मस्तिस्वमा मंगेशसिनाथमत .............. १७१७ | सापेक्ष-निरपेक्ष मावनी सिद्धि .................. १७२८ स्वद्रव्याहिसापेक्ष मस्तिस्वभाव ................. १७१७ | विलक्ष भावोभ निरोप निराश ............. १७२८ सापेक्षास्तित्वाभ्युपगमः .................................१७१८ | संपतन धन : बौद्ध .................१७२८ અસ્તિસ્વભાવ શ્રીદેવચન્દ્રજીની દૃષ્ટિએ ... १७१८ पृथ्वीत्वेन शरावे गन्धसिद्धिः .........................१७२९ नास्तिस्वमान नि३५९............. १७१८ लसंपई पूर्वगंधमभिव्यं४७ : हैन..............१७२९ सापेक्षनास्तित्वनिरूपणम् ............ ............१७१९ । गंधनule seयनामां गौरव ................... १७२९ अस्ति-नास्तिस्वभावसमर्थनम ........ ...........१७२० साधनातः सिद्धिः ...........
१७३० सर्व सर्वात्म: थवानी भापत्ति .................. साधना मने सिद्धि मंगे सम४९ ................ १७३० નાસ્તિસ્વભાવ ન માનો તો સંકરાદિ દોષ.
तृतीयसामान्यस्वभावप्रकाशनम्
....... १७३१ मस्ति-नास्तिस्वभाव न मानो तो...
नित्यस्वभावना विया२९॥ ..
१७३१ सर्वम् अनेकान्तात्मकम् ................................ तृतीयसामान्यस्वभावसाधनम् . ...... १७३२ સર્વ વસ્તુ અસ્તિ-નાસ્તિસ્વભાવમય.
प्रत्यमित नित्यस्वभावनी सा५ ............. . १७३२ पार्थ स्व३५थी सत, ५२३५थी असत ...........१७२१ द्रव्यत्वावहेन नित्यस्वभाव : श्रीभयंद्रसूर....१७३२ सत्-असत् स्वत्मानुं समर्थन .................. पुद्गलत्वेन परमाणोः नित्यता .....
..........१७३३ नास्तिस्वभावस्य तुच्छत्वापत्तिः ..................... १७२२ नित्यक्ष विया२९॥........ .......... १७३३ नास्तिस्वभाव श्रीदेवयन्द्रनीष्टिwi...........१७२२ पुगतमा नित्यस्वभावनो वियार............... १७३३ नास्तित्व पनि : बौद्ध ..................... १७२२ ध्वंसाऽप्रतियोगित्वं नित्यत्वम् ......................... १७३४ नास्तिस्वभाव पारमार्थि : हैन ................१७२२ नैयायिनी नमतमा समावेश ....... १७३४ व्यञ्जकविलम्बप्रयुक्ताभिव्यक्तिविलम्बः ................१७२३ घटगत नित्यतानी भीमांसा..................... १७३४ सर्वथा असतनी मभिव्यक्तिनो असंभव ........१७२३ विशेषस्य सामान्यरूपेण नित्यता ....................१७३५ व्यंविषयी अभिव्यक्तिमा वि........... १७२३ मात्मगत भने घटगत नित्यत्वमा तावत.......१७३५ वस्तुस्वभाववैचित्र्यम् अप्रत्याख्येयम् ...
तभावथा व्ययन अप्रसिद्धि .. .......... १७३५ સ્વભાવવૈવિધ્યનો અપલાપ અશક્ય. ...... १७२४ ध्वंसप्रतियोगितानवच्छेदकरूपवत्त्वं नित्यत्वम् ......१७३६ સ્વભાવવૈવિધ્ય પ્રસિદ્ધ . १७२४ તત્ત્વાર્થસૂત્રની છણાવટ
.१७३६ वस्तुस्वभावनिषेधाऽयोगः .
....१७२५
नव्यन्यायनी परिभाषामा नित्यत्वनी परियय .... १७३६ सापेक्षमावो पारमार्थिs ......... .... १७२५ खुश्रीवामित्व३नित्यत्वनी आपत्ति ..........१७३६ मस्तिस्वभाव ५॥ व्यं०४४व्यंग्य ....... .... १७२५ चतुर्थसामान्यस्वभावप्रज्ञापनम् .........................१७३७ सापेक्ष-निरपेक्षपदार्थप्रस्थापनम् ....................... १७२६ शुरुष ५अवछे बने .................... १७३७ पर्यायनामेहमा व्यवहार-निश्चयभत ..........१७२६ अनित्यस्वभावनी विया२५॥ ................... १७३७ प्रतियोगाभ२५॥ सापेक्षमाशानन ...........१७२६ परमाणोः नित्यानित्यता ............................... १७३८ प्रतीत्यभावानां पारमार्थिकता ........................१७२७ भेत्र नयमेथी शाश्वत-शाश्वतस्वमा ....... १७३८ प्रतीत्यमा विजनापात्र नथी ....... ........ १७२७ | सर्व वस्तु नित्यानित्य ....... ........१७३८
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