Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 05
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
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• विषयमानहार्शि.
વિષય
પૃષ્ઠ
વિષય
५०
चेतनत्वादीनां सामान्य-विशेषगुणत्व
वास्तविक स्वभाव-विभावरानी स्पष्टता ........ १७०२ कथनप्रयोजनम् ...........................१६९०
बना स्वभाव-विभावसोने मोजणी......१७०२ सामान्य-विशेष गुणोनो अनुवे५...............
१६९० सिद्धानां वीर्याऽभावसमर्थनम् ......................... १७०३ चेतनत्वादीनाम् अनुवृत्ति-व्यावृत्तिबुद्धिजनकत्वम् ..१६९१ ग्रहणपरिणामस्वरूपविचारणम् .......................१७०४ अपेक्षामेथी स्व३५.मे........ ......... १६९१ पालना स्वभाव-विभावक्षने सभमे.....१७०४ पुनरुक्तिनिराकरणम् ............. .........१६९२ पुगसक्षम दाधव-गौरव वियार............१७०४ ७५यसर्थ, पाथिभ असोय .....
.......१६९२
ग्रहणगुणव्याख्यानम् .......... ............१७०५ भेत्र विरोधी भनी समावेश .................. १६९२ | १९०६ शि . .......................... १७०५ स्थूलदृष्ट्या आत्मादेः विशेषगुणचतुष्कशालित्वम् . १६९३ स्वभाव-विभावलक्षणपरिष्कारः ..................... १७०६ उपाधिमेथा विभिन्न विभागमा समावेश........१६९३ | अगुएशनी स्पष्टता ..........................१७०६ દેવસેનમત સ્થૂલવ્યવહાર સંમત
...............१६९३
| शुद्धपरिणामस्वभाव आविर्भावनीयः ................. १७०७ सूक्ष्म दृष्टिने विशेष गुतो मानता ............... १६९३ સ્વભાવગુણપરિણમન આપણું કર્તવ્ય.
१७०७ आगमसूत्रशैलीविमर्शः ...........................१६९४ स्वभावगुणपरिणमनमस्मत्कर्तव्यम् ......... १७०८ द्रव्यविभाजकोपाधिरूपाः षड् विशेषगुणाः ........ १६९५ स्वभाव-गुणाभेदोपदर्शनम् ..............................१७०९ विशेष अंगभगवतीसूत्रसंह.............. १६९५ स्वभावनि३५९।...................... ..........१७०९ विमति विशेष ७ भागमसंमत ............. १६९५ | | स्वभावत्वावच्छेदेन गुणात्मकत्वाऽभावः ............. १७१० देवसेनमतसमीक्षा ................................... १६९६ | गुए। भने स्वभाव वय्ये तावत ................ १७१० हेवसेनसंमत सामान्य विभाग न्यूनतास्त....१
स्वभावव्याख्यादर्शनम् ...... .............१७११ हिबरमते ५९। सामान्यो भने छे.......... १६९६ | Yeu स्वभाव-द्रव्यात्म जने ................... १७११ विशेषगुणविभागसङ्गतिः ..............................१६९७ स्वभावना व्याध्या .........
१७११ पवि५ विशेषगुविमा सप्रयो४न ............ १६९७ गुए।-स्वभावनी मोग५ ... .................... १७११ और लक्ष्यमा भने सनी मीमांसा ............१६९७ स्वमा भो वि४यानं सूरिनु मंतव्य ........... १७११ आत्मनः स्वाभाविकलक्षणम् उपयोगः .............. १६९८ सामान्य-विशेषस्वभावनिर्देशः ..........................१७१२ स्वभाव-विभागुनी विया२५u ............... १६९८ सामान्यस्वभाव : ११, विशेषस्वभाव : १०.....१७१२ स्वभावगुणस्य विभावगुणतया परिणमनम् ....... १६९९ मस्तिस्वभाव- प्राशन ......
१७१२ हिन२ संप्रदायमा पर्नु सक्ष....... ........१६९९ अस्तित्वं सत्तास्वरूपम् भतिशन ५५ निश्चयथा विमाqgu ! ........... १६९९ | मस्तिस्वभाव सण..
१७१३ विभावलक्षणप्रदर्शनम्
.....................१७०० अस्तिस्वभावस्यानुभवौपयिकत्वम् ................ विभावगु स्वभावगुरानो व्याप्य.... ......... १७०० અસ્તિત્વ : અમૃતચન્દ્રની દષ્ટિમાં
१७१४ विभावलक्षणमीमांसा ............ ............. १७०१ | અસ્તિસ્વભાવનું પ્રયોજન. .............१७१४ पुलिस भीमांसा ........ ......१७०१ | सर्वशून्यतापत्तिः. ............. भने सक्षमशननुं प्रयो४न ........ ........ १७०१ | अस्तिस्वभावमा विपक्षमा५ प्रभा ............ १७१५ विमाव-स्वभावक्षनी सभव्याति .............१७०१ | स्वभावलाभप्रयुक्तसंशयविमर्शः ..........१७१६ स्वभाव-विभावलक्षणमीमांसा ............ .............१७०२ | संशय ५९ वस्तुसत्यसाय .......
१७१६
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१७१३
.१७१४
टमा
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