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विषय
मृषा भाषा को लक्षणा से सत्य बताना अयुक्त प्रशस्त परिणामस्य सत्यत्वसम्पादकत्वसाधनम् विभागभेदकादिविचारः
राग, द्वेष, मोह-मृषाभाषा के असाधारण कारण मृषा भाषा का दशविध विभाग ही युक्तिसंगत है स्थानाङ्गवचनविरोधपरिहारः
मृषा भाषा के चार भेद
भाषायां यथासम्भवविभागान्तराविष्करणम् तृतीयः स्तकः
मिश्रभाषा लक्षण और भेद
मिश्रभाषा से शुभाशुभकर्मबन्ध नामुमकिन मिश्रभाषा के दशभेद
दिगर्थविभावनम् ...
मिश्रभाषाविशेषस्यैव दशविधत्वकथनम् मिश्रभाषा का विभाग निर्दोष है मिश्र भाषाविभागे विचारविशेषः
ध्येयमितिव्याख्याने मिश्रभाषालक्षणप्रकाशनम् . अव्याप्ति का दूसरे ढंग से निराकरण. 'मूले वृक्षः कपिसंयोगी 'तिवचनमीमांसा धर्मी अंश में प्रमात्वजनकत्व मिश्रभाषात्व का आपादक नहीं है
उत्पन्नमिश्रित भाषा १ / ३
मिश्रभाषा में सत्यत्व औपचारिक नहीं है
निग्रहप्रयोजने विमर्शः
दिक्पदार्थव्याख्यानम्
विगतमिश्रित भाषा २ / ३
उत्पन्नविगतमिश्रित भाषा ३/३
मिश्रभाषा तृतीयभेदचतुर्भगीप्रदर्शनम् .
जीवमिश्रित भाषा ४ / ३
उभय प्रत्येकसम्बन्धी है, प्रतिनियत एकव्यक्तिसम्बन्धी नहीं
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समूह एकात्मक भी है, अनेकात्मक भी है. आंशिकसत्यत्वमपि प्रसिद्धव्यवहारानुसारेण .
विषय
अजीवमिश्रित मिश्रभाषा ५/३ अवच्छिन्नत्वपदार्थोपदर्शनम् जीवाजीवमिश्रित सत्यामृषा भाषा ६/३ अनंतमिश्रित सत्यमृषा भाषा ७/३
अनंतमिश्रित भाषा में आंशिक सत्यत्व भी है
समुदायावच्छिन्नत्व प्रत्येकावच्छिन्नत्व से अतिरिक्त है दिक्पदार्थाविष्करणम् .
प्रत्येकमिश्रित सत्यामृषा भाषा
स्वतंत्र परित्तअनंतमिश्रित भाषा नहीं है
प्रत्येकानन्तकायवचनप्रयोगविवक्षाहेतूपदर्शनम्
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चूर्णिकार का वचन
चूर्णिकार के वचन का फलितार्थ.
अद्धामिश्रित सत्यामृषा भाषा ९ / ३
अद्धामिश्रित भाषा सत्यामृषा नहीं है- नैयायिक अद्धामिश्रित भाषा सत्यामृषा है - स्याद्वादी मिश्रभाषाया दशविधत्वातिरेकप्रत्याख्यानम् अद्धाऽद्धामिश्रित सत्यामृषा भाषा १० / ३
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'मूले वृक्षः कपिसंयोगी' वचन मिश्रभाषारूप नहीं है ..... २२४ दिक्पदार्थविभावनम्
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उद्देश्यविधेयभावस्थले व्याप्तिभाननिरूपणम् .
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आज्ञापनी में असत्यामृषात्व के समर्थक दो हेतु . २३० दिगित्युक्तिव्याख्याने आज्ञापन्यां विमर्शविशेषः
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याचनी भाषा ३/४ दानस्वरूपमीमांसा
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असत्यामृषालक्षणमीमांसा.
असत्यामृषा के लक्षण एवं भेद का निरूपण सम्बोधनपदार्थप्रकाशनम्
आमन्त्रणी असत्यामृषा भावभाषा १/४
अमन्त्रणी भाषा में असत्यामृषात्व के तीन हेतु . आज्ञापन्यां विचारविशेषः
आज्ञापनी भाषा २/४
आज्ञापनी व्यवहारनय से न सत्य है, न मृषा करणाsकरणाऽनियमविचारः
व्यवहारनय से याचनी भाषा असत्यामृषा ही है. परमार्थतः तीर्थंकर में दातृत्व है निष्क्रियप्रार्थनामृषात्वबीजावेदनम्
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२३३ तीर्थंकर में पारमार्थिक दातृत्व है (xxiii)
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