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उसका अनंत अवतार का हिसाब एक कोर्स में पूरा हो जाएगा। फिर हमेशा के लिए निर्भयता, असंगता, वीतरागता!
७. खेंच : कपट : पोइन्ट मैन 'अक्रम विज्ञान' ज्ञानीपुरुष का अनुभव सहित विज्ञान है और यह विज्ञान ऐसा है कि व्यवहार या अध्यात्म की तमाम प्रकार की गुत्थियाँ सुलझा देता है।
जिसे अक्रम विज्ञान प्राप्त हुआ है, उसका जीवन कैसा होना चाहिए? बिल्कुल खेंच रहित। अपनी सही बात को ज़ाहिर करे, लेकिन अगर कोई स्वीकार नहीं करे तो उसे, सही साबित करने की भी ज़रूरत न समझे और शायद कभी प्रकृति के भरे हुए माल के आधार पर खेंच उत्पन्न हो जाए तो उसे भी 'देखे' तो 'खुद' मुक्त हो जाएगा।
मोक्षमार्ग में कानून नहीं है। सहज रूप से जो हो जाए वही ठीक! नो लॉ-लॉ! वर्ना एक कानून बनाने जाएँ तो कानूनों के पहाड़ खड़ा करना पड़ेगा। जहाँ कानून है, वहाँ सहजता नहीं है। मोक्ष तो जो सहज हो जाए, उसी के लिए है।
ज़िद पकड़ने का मतलब यानी खुद का स्थान छोड़कर नीचे गिरना। खुद का सत्य हो, फिर भी यदि उसकी पकड़ पकड़े, तब भी वह अहंकार माना जाएगा। जगत् का सत्य, वह निरपेक्ष सत्य नहीं है, सापेक्ष सत्य है। उसकी क्या पकड़ रखनी? ज्ञानीपुरुष तो संपूर्ण निराग्रही होते हैं।
मतभेद रहित हो गए तो समझना कि सही मार्ग पर हैं। कहीं भी पकड़ नहीं पकड़े, मोड़ो वैसे मुड़ जाए, उसे सरल कहते हैं।
सभी कषायों में से सब से विकट कपट है क्योंकि कपट हमेशा मीठा लगता है और दिखाई नहीं देता है। कपट सभी हिसाब बंधवाता है। कपट तो बेभान कर देता है। यानी खुद के कपट का खुद को पता ही नहीं चलता, इसलिए उसे निकालना भी मुश्किल है। संसार के लाभ उठाने के लिए औरों को अपने अभिप्राय के
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