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अनेकान्त
[वर्ष ६
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संयुक्तप्रान्तके भू० प्रधानमंत्री पं० गोबिन्दवल्लभ पन्त- उन सिद्धान्त, उत्तम नैतिक नियम और उच्च रीतियों ___“जैनधर्ममें सत्य और अहिंसास चार से भरपूर है। अब यह नहीं कहा जाता कि जैनधर्म मादर्श नहीं। इससे कोई इन्कार नहीं कर सकता कि
बौद्धधर्मकी शाखा है, किन्तु वह बहुत प्राचीन और सर्व सिद्धान्तों में उत्तम जैनघमके मिद्धान्त हैं।"
स्वतंत्र धर्म है जिसके सिद्धान्त बुद्ध के जन्मसे पहले "प्रान्तीय काँग्रेस के पूर्वप्रधान श्रीमोहनलाल सक्सेना
चले आते हैं।
- इसका बड़ा भारी साहित्य जो पवित्र, सैद्धान्तिक "हिंन्दू धर्म जहां सहनशीलता सिखलाता है, और लौकिक है-अब तक यूरूपकी दुनिया के लिये सिखधर्म जहाँ बरादुरी सिखलाता है, इस्लाम धर्म एक मुहर लगी किताब है। बहुत ही कम पुस्तकें प्रकट जहां भ्रातृभक्ति सिखलाताहै, वहां जैन धर्म सत्प्रेम, हुई हैं। यदि यह अमूल्य सिद्धान्त छप जाय तो सद्भाव और अहिंसा सरस रीतिसे सिखलाता है।" विचारों में एक नया युग खिले और बहुत संभव है लाला कन्नूमल एम० ए० जज धौलपुर स्टेट- कि वर्तमान इतिहासको भी बदलना पड़े।"
-व्यवस्थापक प्राचीन धर्मोमेंसे जैनधर्म एक ऐसा धर्म है जो GG
R525-25-26 न धार्मिक पुस्तकोंके मिलनेका अभाव होते जानेपर भीG (१)भविष्यदत्तसेट १०॥=)का८) | (२)चन्दन बालासेट ६।)का ४) । (३)सत्यमार्ग सेट ८/-)|का ६।) 3 सुरसुन्दरीनाटक सती चन्दनवाला
सत्यमार्ग नवीनजिनवादी संग्रह सत्यघोषनाटक
जिनवाणीसंग्रह
२) ।
रत्नकरंडश्रावकाचार भविष्यदत्तचरित्र रत्नमाला
द्रव्यसंग्रह धन्यकुमारचरित्र अंजनासुन्दरीनाटक
नित्यनियमपूजा भाषा समन्तभवचरित्र पाषण पर्व व्रतकथा
ऋषभदेवकी उ. सूत्रमकामर १० पु. मादी जैनपूजा
जैनधर्मसिद्धान्त किरान-मजनावली २ जिनवाणीगुटके
विशाल जैनसंघ वन गांव-कीर्तन हितैषी गायन
मास्मिकमनोविज्ञान बारहमासा अनन्तमती नभजनसंग्रह
अतिशयजैनपूजा दीपमालिकापूजन अनन्तमती-चरित्र
चारचित्र हस्तनागपुर-माहात्म्य
रत्नकरराषकाचार
। रविवतकथा बड़ी सम्मेदशिखरपूजा बढी 1-) सहस्रनामभाषाटीका ॥)| विनती विनोद
श्री पीर जैन पुस्तकालय, १०८ बी नई मंडी मुजफ्फरनगर यू.पी. नोट-नं.१ सेट दस रुपये ग्यारह पाने का पाठ रुपये में। नं. २ सेट सवाछर रुपये का पौने पाँच कायेमें ।
नं. सेटमाठ रुपये साढ़े पांच मानेका सवा छह रुपयेमें । एएएएएएएछर पर
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