Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चउत्थो उद्देसओ : पोग्गले
चतुर्थ उद्देशक : पुद्गल दो परमाणु पुद्गलों का संयोग-विभाग निरूपण
१. रायगिहे जाव एवं वयासी
[१] राजगृह नगर में (श्रमण भगवान् महावीर का पदार्पण हुआ।) यावत् गौतमस्वामी ने इस प्रकार पूछा
२. दो भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति, एगयओ साहण्णित्ता किं भवति ? गोयमा ! दुपदेसिए खंधे भवति। से भिजमाणे दुहा कजति। एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ परमाणुपोग्गले भवति।
[२ प्र.] भगवान् ! दो परमाणु जब संयुक्त होकर एकत्र होते हैं, तब उनका क्या होता है ?
[२ उ.] गौतम ! (एकत्र संहत उन दो परमाणु-पुद्गलों का) द्विप्रदेशिक स्कन्ध बन जाता है। यदि उसका भेदन हो तो दो विभाग होने पर एक ओर एक परमाणुपुद्गल और दूसरी ओर भी एक परमाणु-पुद्गल हो जाता है।
विवेचन—प्रस्तुत दो सूत्रों में दो परमाणु एकत्रित होने पर एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध बनने तथा विभाजित होने पर दो परमाणु अलग-अलग (एक विकल्प-१-१) होने का निरूपण किया गया है। इसका सिर्फ एक ही विकल्प है (१-१)।
कठिन-शब्दार्थ-साहण्णंति—एक (संयुक्त) रूप से इकट्ठे होते हैं।' तीन परमाणुपुद्गलों का संयोग-विभाग-निरूपण
३. तिन्नि भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति, एगयओ साहण्णित्ता किं भवति ? गोयमा ! तिपदेसिए खंधे भवति। से भिजमाणे दुहा वि, तिहा वि कज्जति। दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपदेसिए खंधे भवति। तिहा कज्जमाणे तिन्नि परमाणुपोग्गला भवंति।
[३ प्र.] भगवन् ! जब तीन परमाणु एकरूप में इकट्ठे होते हैं, तब उन (एकत्र संहत तीन परमाणुओं) का क्या होता है ?
[३ उ.] गौतम ! उनका त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है। उसका भेदन होने पर दो या तीन विभाग होते हैं। दो विभाग हों तो एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और दूसरी ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध हो जाता है। उसके तीन विभाग . हों तो तीन परमाणु-पुद्गल पृथक्-पृथक् हो जाते हैं।
१. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ५६६