Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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बारहवाँ शतक : उद्देशक-१०
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में नहीं बनता है। क्योंकि उसके केवल दो ही अंश हैं।
२९. [१] आया भंते ! तिपएसिए खंधे, अन्ने तिपएसिए खंधे ?
गोयमा ! तिपएसिए खंधे सिए आया १, सिय नो आया २, सिय अवत्तव्वं—आया ति य नो आया ति य ३, सि आया य नो आया य ४, सिय आया य नो आयाओ य ५, सिय आयाओ य नो आया य ६, सिय आया य अवत्तव्बं—आया ति य नो आया ति य ७, सिय आया य अवत्तव्वाइं— आयाओ य नो आयाओ य ८, सिय आयाओ य अवत्तव्वं आया ति य नो आया ति य ९, सिय नो आया य अवत्तव्वं-आया ति य नो आया ति य १०, सिय नो आया य अवत्तव्वाइं—आयाओ य नो आयाओ य ११, सिय नो आयाओ य अवत्तव्वं आया ति य नो आया ति य १२, सिय आया य नो आया य अवत्तव्वं—आया ति य नो आया ति य १३।
[२९-१ प्र.] भगवन् ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्मा (सद्प) अथवा उससे अन्य (असद्रूप) है ?
[२९-१ उ.] गौतम ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध १- कथंचित् सद्प (आत्मा) है।२-कथंचित् असद्प (नोआत्मा) है। ३- सद्-असद्-उभयरूप होने से कथंचित् अवक्तव्य है। ४-कथंचित् आत्मा (सद्प ) और कथंचित् नो आत्मा (असद्रूप) है। ५-कथंचित् सद्प (आत्मा) और अनेक असद्रूप (नो आत्माएँ) हैं। ६-कथंचित् अनेक असद्रूप (आत्माएँ) तथा असद्प (नो आत्मा) है।७-कथंचित् सद्रूप (आत्मा) और सद्-असद्-उभयरूप होने से अवक्तव्य है। ८-कथंचित् आत्मा (सद्प) तथा अनेक सद्-असद्प (आत्माएँ तथा नो आत्माएँ) होने से अवक्तव्य है। ९-कथंचित् आत्माएँ (अनेक असद्रूप) तथा आत्मा-नो आत्मा (सद्-असद्) उभयरूप से—अवक्तव्य है। १०-कथंचित् नो आत्मा (असद्प) तथा आत्मा-नो-आत्मा (सद्-असद्) उभयरूप होने से अवक्तव्य है । ११-कथंचित् नो आत्मा (असद्प), तथा आत्माएँ-नो आत्माएँ (अनेक सद्-असद्रूप)-उभयरूप होने से अवक्तव्य हैं । १२-कथंचित् नो आत्माएँ (अनेक असद्रूप) तथा आत्माएँ-नो-आत्माएँ (अनेक सद्-असद्प) उभयरूप होने से-अवक्तव्य हैं,.और १३-कथंचित् आत्मा (सद्रूप), नो-आत्मा (असद्रूप) और आत्मा-नो-आत्मा (सद्-असद्) उभयरूप होने से अवक्तव्य है।
[२] से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चति 'तिपएसिए खंधे सिय आया य० एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव सिय आया य नो आया य अवत्तव्वं—आया ति य नो आया ति य?
गोयमा ! अप्पणो आदिढे आया १; परस्स आदिढे नो आया २; तदुभयस्स आदिढे अवत्तव्वं आया ति य नो आया ति य ३; देसे आदिढे सब्भावपजवे, देसे आदिढे असब्भावपजवे तिपदेसिए खंधे आया य नो आया य ४; देसे आदिढे सब्भावपजवे, देसा आइट्ठा असब्भावपजवा तिपएसिए खंधे आया य नो आयाओ य ५; देसा आदिढे सब्भावपजवा, देसे आदिढे असब्भावपज्जवे तिपएसिए खंधे आयाओ य नो आया य ६; देसे आदितु सब्भावपज्जवे, देसे आदिढे तदुभयपजवे तिपएसिए खंधे
१. भगवतीसूत्र, अ. वृत्ति, पत्र ५९५