Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [११] इसी प्रकार (पूर्ववत्) महाशुक्रकल्प और सहस्राकल्प का अबाधान्तर जानना चाहिए। १२. एवं सहस्सारस्स आणय-पाणयाण य कप्पाणं। [१२] इसी प्रकार सहस्रारकल्प और आनत-प्राणतकल्पों का अबाधान्तर है। १३. एवं आणय-पाणयाण आरणऽच्चुयाण य कप्पाणं। [१३] आनत-प्राणतकल्पों और आरण-अच्युतकल्पों का अबाधान्तर भी इसी प्रकार है। १४. एवं आरणऽच्चुयाणं गेवेजविमाणाण य। [१४] आरण-अच्युतकल्पों और ग्रैवेयक विमानों का आबाधान्तर भी पूर्ववत् कहना चाहिए। १५. एवं गेवेज्जविमाणाणं अणुत्तरविमाण ण य। [१५] इसी प्रकार ग्रैवेयक विमानों और अनुत्तर विमानों का अबाधान्तर समझना चाहिए। १६. अणुत्तरविमाणाणं भंते ! ईसिपब्भाराए य पुढवीए केवतिए० पुच्छा। गोयमा ! दुवालसजोयणे अबाहाए अंतरे पन्नत्ते। [१६ प्र.] भगवान् ! अनुत्तरविमानों और ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी का अबाधान्तर कितना कहा गया है? [१६ उ.] गौतम ! (इनका) बारह योजन का अबाधान्तर कहा गया है। १७. ईसिपब्भाराए णं भंते ! पुढवीए अलोगस्स य केवतिए अबाहाए० पुच्छा। गोयमा ! देसूणं जोयणं अबाहाए अंतरे पन्नत्ते। [१७ प्र.] भगवान् ! ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी और अलोक का कितना अबाधान्तर कहा गया है ? [१७ उ.] गौतम ! (इन दोनों का) अबाधान्तर देशोन योजन (एक योजन से कुछ कम) का कहा गया है।
विवेचन—अबाधा-अन्तर की परिभाषा—यद्यपि अन्तर शब्द मध्य, विशेष आदि अनेक अर्थों में प्रयुक्त होता है, अतः यहाँ अन्य अर्थों को छोड़ कर एकमात्र व्यवधान का अर्थ ही गृहीत हो, इसलिए अबाधा' शब्द को 'अन्तर' के पूर्व जोड़ा गया है। बाधा कहते हैं—परस्पर संश्लेष होने से होने वाली टक्कर (संघर्षण) को। वैसी बाधा न हो, इसका नाम अबाधा। अबाधापूर्वक अन्तर अर्थात्-व्यवधान, या दूरी अबाधान्तर है। सभी प्रश्नों का आशय यह है कि एक पृथ्वी से दूसरी पृथ्वी आदि की दूरी कितनी है ?
अबाधान्तर का मापदण्ड—प्रस्तुत में जो योजनों का प्रमाण बताया गया है, वह प्रायः प्रमाणांगुल से निष्पन्न समझना चाहिए। कहा भी है
१. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ६५२
(ख) भगवती. (प्रमेयचन्द्रिकाटीका) भा. ११, पृ. ३५८