Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 812
________________ उन्नीसवाँ शतक : उद्देशक-३ ७७९ [२४ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, अग्निकायिक और वायुकायिक (इन चारों में से) कौन सी काय सबसे सूक्ष्म है, कौन-सी सूक्ष्मतर है ? [२४ उ.] गौतम! (इन चारों में से) वायुकाय सबसे सूक्ष्म है, वायुकाय ही सबसे सूक्ष्मतर है। २५. एतस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स आउकाइयस्स तेउकाइयस्स य कयरे काये सव्वसुहमे ? कयरे काये सव्वहुमतराए ? गोयमा ! तेउकाय सव्वसुहुमे, तेउकाये सव्वसुहुमतराए । [२५ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिक, अप्कायिक और अग्निकायिक, (इन तीनों में से) कौन सी काय सबसे सूक्ष्म है, कौन-सी सूक्ष्मतर है ? [२५ उ.] गौतम! (इन तीनों में से) अग्निकाय सबसे सूक्ष्म है, अग्निकाय ही सर्व सूक्ष्मतर है।। २६. एतस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स आउक्काइयस्स य कयरे काये सव्वसुहमे ?, कयरे काये सव्वसुहुमतराए ? गोयमा ! आउकाये सव्वसुहमे, आउकाए सव्वसुहुमतराए । [२६ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिक और अप्कायिक इन दोनों में से कौन-सी काय सबसे सूक्ष्म है, कौन-सी सर्वसूक्ष्मतर है ? [२६ उ.] गौतम! (इन दोनों कायों में से) अप्काय सबसे सूक्ष्म है, और अप्काय ही सर्वसूक्ष्मतर है। विवेचन—फलितार्थ—पृथ्वीकायादि पांचों कायों में सबसे सूक्ष्म वनस्पतिकाय है। वनस्पति के सिवाय शेष चार कायों में सर्वसूक्ष्म वायुकाय है। वायुकाय को छोड़ कर शेष तीनों कायों में सर्वसूक्ष्म अग्निकाय है और अग्निकाय को छोड़कर शेष दो कायों में सर्वसूक्ष्म अप्काय है। इस प्रकार सूक्ष्मता का तारतम्य यहाँ बताया गया है।' सव्वसुहुमतराए : अर्थ—सबसे अधिक सूक्ष्म।' एकेन्द्रिय जीवों में सर्वबादर सर्वबादरतरनिरूपण २७. एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स आउ० तेउ० वाउ. वणस्सतिकाइयस्स य कयरे काये सव्वबादरे?, कयरे काये सव्वबादरतराए ? गोयमा ! वणस्सतिकाये सव्वबादरे, वणस्सतिकाये सव्वबादरतराए। [२७ प्र.] भगवन् ! इन पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक में से कौनसी काय सबसे बादर (स्थूल) है, कौन-सी काय सर्वबादरतर है? १. वियाहपण्णत्तिसुत्तं भा. २ (मूलपाठ-टिप्पण) पृ. ८३७-८३८ २. भगवती. विवेचन (पं. घेवरचंदजी) भा. ६, पृ. २७८६

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