Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 826
________________ उन्नीसवाँ शतक : उद्देशक - ५ ७९३ प्रज्ञापनानिर्दिष्ट तथ्य का संक्षिप्त निरूपण नैरयिक जीवों को दोनों प्रकार की वेदना होती है । जो संज्ञी जीवों से जाकर उत्पन्न होते हैं, वे निदा वेदना वेदते हैं और असंज्ञी से जाकर उत्पन्न होने वाले अनिदा वेदना वेदते हैं। इसी प्रकार असुरकुमार आदि देवों के विषय में भी जानना चाहिए । पृथ्वीकायिक आदि से लेकर चतुरिन्द्रिय जीवों तक केवल 'अनिदा' वेदना वेदते हैं। पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च, मनुष्य और वाणव्यन्तर, ये नैरयिकों के समान दोनों प्रकार की वेदना वेदते हैं। ज्योतिष्क और वैमानिक भी दोनों प्रकार की वेदना वेदते हैं । किन्तु दूसरों की अपेक्षा उनके कारण में अन्तर है। जो मायी - मिथ्यादृष्टि देव हैं, वे अनिदा वेदना वेदते हैं जबकि अमायीसम्यग्दृष्टि देव निदा वेदना वेदते हैं । ॥ उन्नीसवाँ शतक : पञ्चम उद्देशक समाप्त ॥ १. (क) प्रज्ञापनासूत्र पद- ३५, पत्र ५५६-५५७ (ख) भगवतीसूत्र, खण्ड ४, (गुजराती अनुवाद) (पं. भगवानदासजी), पृ. ८९

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