Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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उन्नीसवाँ शतक : उद्देशक-३
७७७ १७। एवं सुहुमतेउकाइयस्स वि १८-१९-२० । एवं सुहुमआउकाइयस्स वि २१-२२-२३। एवं सुहुमपुढविकाइयस्स वि २४-२५-२६।एवं बादरवाउकाइयस्स वि २७-२८-२९।एवं बायरतेउकाइयस्स वि ३०-३१-३२। एवं बादरआउकाइयस्स वि ३३-३४-३५ । एवं बादरपुढविकाइयस्स वि ३६-३७३८ । सव्वेसिं तिविहेणं गमेणं भाणियव्वं । बादरनिगोदस्स पजत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेजगुणा ३९। तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया ४०। तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया ४१ । पत्तेयसरीर बादरवणस्सतिकाइयस्स पज्जत्तगस्स जहनिया
ओगाहणा असंखेजगुणा ४२। तस्स चेव अपजत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा असंखेजगुणा ४३। तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा असंखेजगुणा ४४।
[२२ प्र.] भगवन् ! इन सूक्ष्म-बादर, पर्याप्तक-अपर्याप्तक, पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट अवगाहनाओं में से किसकी अवगाहना किसकी अवगाहना से अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक होती है?
_[२२ उ.] गौतम ! १. सबसे अल्प, अपर्याप्त सूक्ष्मनिगोद की जघन्य अवगाहना है। २. उससे असंख्यगुणी है—अपर्याप्त सूक्ष्म वायुकायिक की जघन्य अवगाहना। ३. उससे अपर्याप्त सूक्ष्म अग्निकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यगुणी है। ४. उससे अपर्याप्त सूक्ष्म अप्कायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यगुणी है। ५. उससे अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यगुणी है। ६. उससे अपर्याप्त बादर वायुकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यगुणी है।७. उससे अपर्याप्त बादर अग्निकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यगुणी है। ८. उससे अपर्याप्तक बादर अप्कायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। ९. उससे अपर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। १०-११. उससे अपर्याप्त प्रत्येकशरीरी बादर वनस्पतिकायिक की और बादर निगोद की जघन्य अवगाहना दोनों की परस्पर तुल्य और असंख्यातगुणी है। १२. उससे पर्याप्त सूक्ष्म निगोद की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । १३. उससे अपर्याप्त सूक्ष्म निगोद की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है। १४. उससे पर्याप्तक सूक्ष्म निगोद की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है। १५. उससे पर्याप्तक सूक्ष्म वायुकायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। १६. उससे अपर्याप्तक सूक्ष्म वायुकायिक की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है। १७. उससे पर्याप्तक सूक्ष्म वायुकायिक की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक है। १८-१९-२०. उससे पर्याप्त सूक्ष्म अग्निकायिक की जघन्य, अपर्याप्त सूक्ष्म अग्निकायिक की उत्कृष्ट तथा पर्याप्त सूक्ष्म अग्निकायिक की उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यातगुणी एवं विशेषाधिक है। २१-२२-२३. उससे पर्याप्त सूक्ष्म अप्कायिक की जघन्य, अपर्याप्त सूक्ष्म अप्कायिक की उत्कृष्ट तथा पर्याप्त सूक्ष्म अप्कायिक की उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यातगुणी एवं विशेषाधिक है। २४-२५-२६. इसी प्रकार से उससे पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक की जघन्य, उससे अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक की उत्कृष्ट तथा उससे पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक की उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यगुणी तथा विशेषाधिक होती है । २७-२८-२९. उससे पर्याप्त बादर वायुकायिक की जघन्य, अपर्याप्त बादर वायुकायिक की उत्कृष्ट एवं पर्याप्त बादर वायुकायिक की उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यातगुणी तथा विशेषाधिक है। ३०-३१-३२. उससे पर्याप्त बादर अग्निकायिक की