Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 819
________________ ७८६ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [५ उ.] गौतम! यह समर्थ नहीं है। ६. सिय भंते ! नेरइया महस्सवा अप्पकिरिया महावेदणा अप्पनिज्जरा ? नो इणट्ठे समट्ठे ६ । [६ प्र.] भगवन् ! क्या नैरयिक महास्रव, अल्पक्रिया, महावेदना तथा अल्पनिर्जरा वाले होते हैं ? [६ उ.] यह अर्थ समर्थ नहीं है। ७. सिय भंते ! नेरइया महस्सवा अप्पकिरियां अप्पवेदणा महानिज्जरा ? नो इणट्ठे समट्ठे ७ । [७ प्र.] भगवन्! क्या नैरयिक, महास्रव, अल्पक्रिया, अल्पवेदना एवं महानिर्जरा वाले होते हैं ? [७ उ.] गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है । ८. सिय भंते ! नेरतिया महस्सवा अप्पकिरिया अप्पवेदणा अप्पनिज्जरा ? नो इणट्ठे समट्ठे ८ । [८ प्र.] भगवन्! क्या नैरयिक महास्रव, अल्पक्रिया, अल्पवेदना और अल्पनिर्जरा वाले होते हैं ? [८ उ.] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। ९. सिय भंते! नेरइया अप्पस्सवा महाकिरिया महावेदणा महानिज्जरा ? नो इणट्ठे समट्ठे ९ । [९ प्र.] भगवन्! क्या नैरयिक अल्पास्रव, महाक्रिया, महावेदना और अल्पनिर्जरा वाले हैं ? [९ उ.] गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है। १०. सिय भंते ! नेरइया अप्पस्सवा महाकिरिया महावेदणा अप्पनिज्जरा ? नो इणट्ठे समट्ठे १० । [१० प्र.] भगवन् ! क्या नैरयिक अल्पास्त्रव, महाक्रिया, महावेदना और अल्पनिर्जरा वाले हैं ? [१० उ. ] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। ११. सिय भंते ! नेरइया अप्पस्सवा महाकिरिया अप्पवेयणा महानिज्जरा ? नो इणट्ठे समट्ठे ११ । [११ प्र.] भगवन्! क्या नैरयिक अल्पास्रव, महाक्रिया, अल्पवेदना और महानिर्जरा वाले हैं ? [११ उ.] गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है।

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