Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र
[१२ प्र.] भगवन् ! सूक्ष्मपरिणाम वाला अनन्तप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला होता है?, इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न।
[१२ उ.] गौतम! जिस प्रकार पंचप्रदेशी स्कन्ध के विषय में कहा है, उसी प्रकार समग्र (कथन इस विषय में करना चाहिए)।
१३. बादरपरिणए णं भंते ! अणंतपएसिए खंधे कतिवण्णे० पुच्छा।
गोयमा ! सिय एगवण्णे जाव सिय पंचवण्णे, सिय एगगंधे सिय दुगंधे, सिय एगरसे जाव सिय पंचरसे, सिय चउफासे जाव सिय अट्ठफासे पन्नत्ते। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
॥अट्ठारसमे सए : छट्ठो उद्देसओ समत्तो॥ १८-६॥ [१३ प्र.] भगवन् ! बादर (स्थूल) परिणाम वाला अनन्तप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, गन्ध आदि वाला है? इत्यादि प्रश्न।
[१३ उ.] भगवन् ! वह कदाचित् एक वर्ण, यावत् कदाचित् पाँच वर्ण वाला, कदाचित् एक गन्ध या दो गन्ध वाला, कदाचित एक रस यावत पांच रस वाला. तथा चार स्पर्श यावत कदाचित आठ-स्पर्श वाला होता है।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है; यों कह कर गौतमस्वामी यावत् विचरते हैं।
विवेचन—परमाणु एवं द्विप्रदेशी आदि स्कन्धों में वर्णादि का निरूपण—प्रस्तुत ८ सूत्रों (सू. ६ से १३ तक) में परमाणुपुद्गल से लेकर बादर परिणामवाले अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक वर्ण-गन्ध-रस-स्पर्श का निरूपण किया गया है।
परमाणु में वर्णादि विकल्प–परमाणुपुद्गल में वर्णविषयक ५ विकल्प होते हैं, अर्थात् पांच वर्षों में से कोई एक कृष्ण आदि वर्ण होता है। गन्धविषयक दो विकल्प, या तो सुगन्ध या दुर्गन्ध । रसविषयक पांच विकल्प होते हैं, अर्थात्-पांच रसों में से कोई एक रस होता है। और स्पर्शविषयक चार विकल्प होते हैं। अर्थात्-स्निग्ध, रूक्ष, शीत और उष्ण, इन चार स्पर्शों में से कोई भी दो अविरोधी स्पर्श पाए जाते हैं । यथाशीत और स्निग्ध, शीत और रूक्ष, उष्ण और स्निग्ध या उष्ण और रूक्ष ।
द्विप्रदेशी स्कन्ध में वर्णादि विकल्प द्विप्रदेशी स्कन्ध में यदि एक वर्ण हो तो पांच विकल्प, और दो वर्ण (अर्थात् प्रत्येक प्रदेश में पृथक्-पृथक् वर्ण) हो तो दस विकल्प होते हैं। इसी प्रकार गन्धादि के विषय में समझ लेना चाहिए। द्विप्रदेशी स्कन्ध जब शीत, स्निग्ध आदि दो स्पर्श वाला होता है, तब पूर्वोक्त ४ विकल्प होते हैं। जब तीन स्पर्श वाला होता है, तब भी चार विकल्प होते हैं । यथा—दो प्रदेश शीत हों, वहाँ एक स्निग्ध और दूसरा रूक्ष होता है। इसी प्रकार दो प्रदेश उष्ण हों, तब दूसरा विकल्प होता है। दोनों प्रदेश स्निग्ध हों, तब उनमें एक शीत और एक उष्ण हो, तब तीसरा विकल्प बनता है। इसी प्रकार दोनों प्रदेश रूक्ष हों, तब चतुर्थ विकल्प बनता है । जब द्विप्रदेशी स्कन्ध चार स्पर्श वाला होता है, तब एक विकल्प बनता है। इसी प्रकार तीन प्रदेशी आदि