Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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सतरहवाँ शतक : उद्देशक-६
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को सर्वथा छोड़कर, गेंद के समान एक साथ सभी आत्मप्रदेशों के साथ उत्पत्ति-स्थान में जाता है, तब पहले उत्पन्न होता है, पीछे पुद्गल ग्रहण करता है (आहार करता) है, किन्तु जब मरण-समुद्घात करके ईलिका गति से उत्पत्ति स्थान में जाता है, तब पहले आहार करता है और पीछे उत्पन्न होता है।
कठिन शब्दार्थ—समोहए-समवहत—जिसने (मारणान्तिक) समुद्घात किया। उववज्जित्ताउत्पाद क्षेत्र में जा कर.। संपाउणेज्ज—पुद्गल ग्रहण करता है। ॥ सत्तरहवां शतक : छठा उद्देशक समाप्त॥
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१. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ७३० २. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ७३०