Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चोद्दसमो उद्देसओ : 'सुवण्ण'
चौदहवाँ उद्देशक : सुवर्णकुमार ( सम्बन्धी वक्तव्यता) सुवर्णकुमारों में समाहारादि सप्त द्वारों की तथा लेश्या एवं लेश्या की अपेक्षा से अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा
१. सुवण्णकुमारा णं० भंते ! सव्वे समाहारा० ? एवं चेव। सेवं भंते ! सेवं भंते ! ०।
॥ सत्तरसमे सए : चोद्दसमो उद्देसओ समत्तो॥१७-१४॥ [१ प्र.] भगवन्! क्या सभी सुवर्णकुमार समान आहार वाले हैं ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न। [१ उ.] गौतम! इसकी समस्त वक्तव्यता पूर्ववत् जाननी चाहिए। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है; यों कह कर (गौतमस्वामी) यावत् विचरते हैं। ॥सत्तरहवां शतक : चौदहवाँ उद्देशक समाप्त॥
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