Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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तेरसमंसयं: तेरहवाँशतक तेरहवें शतक के दस उद्देशकों के नाम १. पुढवी १ देव २ मणंतर ३ पुढवी ४ आहारमेव ५ उववाए ६।
भासा ७ कम्म ८ ऽणगारे केयाघडिया ९ समुग्घाए १०॥ [१] [गाथार्थ—] तेरहवें शतक के दस उद्देशक इस प्रकार हैं—(१) पृथ्वी, (२) देव, (३) अनन्तर, (४) पृथ्वी, (५) आहार, (६) उपपात, (७) भाषा, (८) कर्म, (९) अनगार में केयाघटिका और (१०) समुद्घात।
विवेचन–दश उद्देशकों के अर्थाधिकार—(१) प्रथम उद्देशक में नरक-पृथ्वियों का वर्णन है। (२) द्वितीय उद्देशक में देवों सम्बन्धी प्ररूपणा है। (३) तृतीय उद्देशक में नारक जीव सम्बन्धी अनन्तराहार आदि की प्ररूपणा है। (४) चतुर्थ उद्देशक में पृथ्वीगत वक्तव्यता है। (५) पंचम उद्देशक में नैरयिक आदि के आहार की प्ररूपणा की गई है। (६) छठे उद्देशक में नारक आदि के उपपात का वर्णन है । (७) सप्तम उद्देशक में भाषा आदि का कथन किया गया है। (८) अष्टम उद्देशक में कर्मप्रकृतियों की प्ररूपणा की गई है। (९) नौवें. उद्देशक में भावितात्मा अनगार द्वारा लब्धि-सामर्थ्य से रस्सी से बंधी घड़िया को हाथ में लेकर आकाशगमन का वर्णन है और (१०) दसवें उद्देशक में समुद्घात का प्रतिपादन किया गया है। ..
केयायघडिया : अर्थ—केया अर्थात् रस्सी में बंधी हुई घटिका—छोटी घड़िया।'
पढमो उद्देसओ : पुढवी
प्रथम उद्देशक : नरकपृथ्वियों सम्बन्धी वर्णन नरकपृथ्वियाँ, रत्नप्रभा के नारकावासों की संख्या और उनका विस्तार
२. रायगिहे जाव एवं वयासी
[२] राजगृह नगर में (श्री गौतम स्वामी ने श्रमण भगवान् महावीर स्वामी से ) वन्दना करके यावत् इस प्रकार पूछा
३. कति णं भंते ! पुढवीओ पन्नत्ताओ ? १. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ५९९ (ख) भगवतीसूत्र (हिन्दीविवेचन) भा. ५, पृ. २१३५ . २. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ५९९