Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र
[३३ उ.] गौतम ! सबसे थोड़े अनुत्तरोपपातिक भावदेव हैं, उनसे उपरिम ग्रैवेयक के भावदेव संख्यातगुणे अधिक हैं, उनसे मध्यम ग्रैवेयक के भावदेव संख्यातगुणे हैं, उनसे नीचे के ग्रैवेयक भावदेव संख्यातगुणे हैं। उनसे अच्युतकल्प के देव संख्यातगुणे हैं, यावत् आनतकल्प के देव संख्यातगुणे हैं। इससे आगे जिस प्रकार जीवाभिगमसूत्र दूसरी प्रतिपत्ति त्रिविध (जीवाधिकार) में देवपुरुषों का अल्पबहुत्व कहा है, उसी प्रकार यहाँ भी ज्योतिषी भावदेव असंख्यात गुणे (अधिक) हैं तक कहना चाहिए।
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'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है', यों कह कर श्री गौतम स्वामी यावत् विचरण करते हैं ।
विवेचन प्रस्तुत सूत्र में विविध भावदेवों के अल्पबहुत्व का निरूपण किया गया है।
भावदेवों के अल्पबहुत्व में त्रिविध जीवाधिकार का अतिदेश- प्रस्तुत अल्पबहुत्व में जीवाभिगम सूत्रोक्त त्रिविध जीवाधिकार का अतिदेश किया गया है। वहाँ अल्पबहुत्व इस प्रकार वर्णित है— आरणकल्प से सहस्रारकल्प में भावदेव असंख्यातगुणे हैं, उनसे महाशुक्र में असंख्यातगुणे, उनसे लान्तक में असंख्यातगुणे, उनसे ब्रह्मलोक के देव असंख्यातगुणे हैं। उनसे माहेन्द्रकल्प के देव असंख्यातगुणे हैं। उनसे सनत्कुमार कल्प के देव असंख्यातगुणे, उनसे ईशान के देव असंख्यातगुणे हैं, और ईशान देवों के सौधर्म कल्प से देव संख्यातगुणा हैं । उनसे भवनवासी देव असंख्यातगुणे हैं। उनसे वाणव्यन्तर देव असंख्यातगुणा हैं और वाणव्यन्तर से ज्योतिष्क भावदेव असंख्यातगुणा हैं ।"
॥ बारहवाँ शतक : नौवाँ उद्देशक समाप्त ॥
१. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ५८७
(ख) जीवाभिगमसूत्र प्रतिपत्ति २, त्रिविध जीवाधिकार, ( आगमोदयसमिति) वृत्ति, पत्र ७१