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आध्यात्मिक आलोक
आहार-निद्रा भय-मैथुनं च, सामान्यमेतत्पशुभिर्नराणाम् धर्मो हि तेषामधिको विशेषो, धर्मेण हीनाः पशुभिः समानाः ।
अर्थात् खाना, सोना, भय और मैथुन रूप क्रिया मनुष्य और पशु में बराबर है। धर्म ही एक मनुष्य का विशेष गुण है। जिसमें धर्म नहीं, वह पशु के समान
जो लोग अज्ञानता या वासना की दासता से अपना लक्ष्य स्थिर नहीं कर पाते, साधना करके भी वे शान्ति प्राप्त नहीं करते । जिनका लक्ष्य स्थिर हो गया है वे धीरे-धीरे चलकर भी पहुँच जाते हैं।
अनुभूति-प्राप्त ज्ञानियों ने कहा है कि मानव ! तेरा अमूल्य जीवन भोग के लिए नहीं है । तुझे करणी करना है और ऐसी करणी कि जिससे तेरे अनन्तकाल के बन्धन कट जायें । तेरा चरम और परम लक्ष्य मुक्ति है, इसको मत भूल । अस्थिर लक्ष्य से काम करने वाला कोई लाभ नहीं पाता । पुराणों में एक कथा आती है कि एक बार भगवान शंकर और पार्वती में इसी बात को लेकर वाद-विवाद हो गया । भगवान शंकर का कहना था कि संसार के मनुष्यों को भक्ति अधिक प्रिय है, जबकि पार्वती कहती थी कि पैसा अधिक प्रिय है। शंकरजी ने कहा कि "हाथ कंगन को आरसी क्या ? चलो, मनुष्यलोक में चलकर इस बात की सप्रमाण परीक्षा करलें।"
दोनों अपने पक्ष की परीक्षा के लिए निकल पड़े । शंकरजी सन्यासी का रूप धारण कर भ्रमण करते हुए एक बड़े नगर में पहुँचे। लोगों ने उनका बड़ा स्वागत किया और बड़ी प्रीति बतलाई । उसी नगर के किसी प्रतिष्ठित सेठ ने सन्यासी रूप भगवान शंकर से निवेदन किया कि आप कुछ दिन यहां रहकर सत्संग का लाभ देने की कृपा करें । सन्यासी ने कहा कि मैं श्मशान का वासी, आप लोगों के बीच कैसे रह ? इस पर सेठ ने शहर के बाहर अपने उद्यान के बंगले में रहने की प्रार्थना
बाबाजी को स्थान पसन्द आ गया । वे सेठ से बोले कि मैं स्वतन्त्र प्रकृति का हूँ, अपनी इच्छा के अनुसार रहूंगा और बिना मेरी इच्छा के तुम कहोगे कि चले जाओ तो मैं नहीं जाऊँगा । तुम्हारे आंगन में चिमटा गाड़कर धूनी रमाऊंगा। यदि तुम्हें मेरी शर्त स्वीकार हो तो ठहरू अन्यथा जाने दो । सेठ ने बाबा की शर्त मान ली और बाबा वहां जम गए। सेठ नित्य प्रति उनके दर्शन का लाभ लेने लगे।
कुछ दिनों के बाद साध्वी रूप में पार्वतीजी भी भ्रमण करती करती उसी नगर में चली आयीं और उसी सेठ के द्वार पर पहुँच कर बोली कि "देहि मे जलम्" याने जरा पीने को जल दो । सेठ ने सेवक से जल देने को कहा । तत्काल एक आदमी पानी का कलश लेकर उपस्थित हुआ और पार्वतीबाई ने बगल से एक