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आचार्य हेमचन्द्र के विध्यत्व तथा राज सम्बन्धों के नैस्तर्य को ध्यान में रखते हुए यह संभावना व्यक्त की जा सकती है कि इनके भी जीवन का कार्यक्षेत्र गुजरात तथा निवास गुज रात प्रान्त की समसामयिक राजधानी "अपखिलपट्टन" में रहा होगा।
यह तो ज्ञात ही है कि आचार्य हेमचन्द्र तथा जयसिंह समकालीन थे तथा उस समय तक रामचन्द्र अपनी अताधारप प्रतिभा के कारप प्रतिष्ठा प्राप्त कर चुके थे। दि राज जयसिंह ने सं0 1150 से सं0 1199 (ई. सन् 1093 - 1142) पर्यन्त राज किया था। मालवा पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में तिदुराज का स्वागत समारोह वि.सं. 1193 (1136 ई) में हुआ था, तभी हेमचन्द्र का सिद्धराज से प्रथम परिचय हुआ था।' सिद्धराज की मृत्य सं0 1199 में हुयी थी। इसी बीच रामचन्द्र का परिचय सिद्ध राज ते हो चुका था तथा प्रतिदि भी प्राप्त कर चुके थे। सिद्धराज जय सिंह के उत्तराधिकारी कुमारपाल ने सं० 1193 -1230 तथा उसके भी उत्तराधिकारी अजयदेव ने सं0 1230 से 1233 तक गुर्जर भूमि पर राज्य किया था। इसी अजयदेव के शासनकाल में रामचन्द्र को राजाज्ञा द्वारा ताम-पट्टिका पर बैठाकर मारा गया था।
उपर्युक्त विवेचन से अनुमान लगाया जा सकता है कि आचार्य रामचन्द्र का साहित्यिक काल वि. सं. 1193 से 1233 के मध्य रहा होगा।
१. हिन्दी नाट्यदर्पप, भूमिका, पृ. 3