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किया गया हो, किन्तु वाग्भट द्वितीय के अनुसार निर्लक्षण दोष व्याकरण विरूद्ध पद के प्रयोग करने पर तो होगा ही, साथ ही छन्द शास्त्र आदि के विरुद्ध पद का प्रयोग करने पर भी होगा ।। यहां आदि पद से अन्य
किन किन शास्त्रों का ग्रहण किया गया है यह उनकी वृत्ति से स्पष्ट
नहीं होता है क्योंकि वृत्ति में व्याकरण शास्त्र विरुद्ध और छन्दः शास्त्र विरुद्ध
दोषों के ही उदाहरण प्रस्तुत किये गये हैं । 2
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838 अश्लील : लज्जा, अमंगल व घृषा को प्रकट करने के कारण अश्लील शब्द दोष तीन प्रकार का होता है । 3
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848 अप्रयुक्त : कवियों द्वारा अनादूत ( निषिद या उपेक्षित ) शब्द दोष अप्रयुक्त है 14
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असमर्थ :
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868 अनुचितार्थ : अनुचित रूप से प्रयुक्त अनुचितार्थ शब्द दोष है ।
78 श्रुतिकटु : कर्षकटु वर्षों का प्रयोग श्रुतिकटु शब्द दोष है । 7
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क्लिष्ट :
उस अर्थ के प्रतिपादन में अक्षम असमर्थ शब्द दोष है 15
8 विवक्षित अर्थ की प्रतीति में विलम्ब क्लिष्ट शब्द दोष
1. वही, पृ. 19
2 वही, वृत्ति, पृ. 19-20
3. वही, पृ. 20
4 वही, पृ. 20
5. वही, पृ. 21
ho वही, पृ. 21
7 वही, पृ. 21 वही, पृ. 22