________________
347
128 विरोधमलक - विरोध, असंगति, विशेषोक्ति, विगावना, विषम,
सम, अधिक, विचित्र, पर्याय, विकल्प, व्याघात, अन्योन्य व विशेषा
33
श्रृंखलामलक - कारपमाला, तार, एकावली, मालादीपक, काव्यर्लिंग व अनुमान।
14
विशिष्टवाक्यसन्निशमलक - यथासंख्या, परिवृत्ति, परिसंख्या, अर्थापत्ति, समुच्चय व समाधि।
358
लोकन्यायमूलक - प्रत्यनीक, प्रतीप, मी लित, सामान्य, तद्गुप, उत्तर, सूक्ष्म, व्याजोक्ति, स्वभापोक्ति, भाविक और उदात्त।
रसवदादि - रसवत्, प्रेयस, उर्जन्वी, समाहित, संतृष्टि व संकर।
आ. नरेन्द्रप्रमतरि अतिश्योक्ति वर्ग में आए हुए प्रारंभिक 28 अलंकारों को कोई नाम नहीं दिया है पर उन्हें अतिशयोक्तिमूलक माना है।' अपने समर्थन में उन्होंने भामह के काव्यालंकार ते एक कारिका उद्धृत की है। शेष वर्गों का विभाजन उन्होंने नामोल्लेखपूर्वक व्यिा है।
1. तामेता समिप्यतिशयोक्ति वदन्ति विदांतो बवते।
अलंकारमहोदधि, पृ. 231 2. सैषा सर्वाऽपि वक्रोक्तिरनयाsों विभाव्यते। यत्नोऽत्यां कविना कार्यः कोऽलंकारोऽनया बिना।।
वही, पृ. 231