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नायिका भेद : जैनाचार्य वाग्भट प्रथम ने नायिका के चार भेद माने हैंअनूढा (अविवाहिता), स्वकीया, परकीया व सामान्या । उन्होंने इनके लक्षणं इस प्रकार दिये हैं
अनूढा
स्वकीया
परकीया
1.
-
2.
3.
4.
वेश्या (सामान्या ) - ठगने में चतुर व सर्वसाधारण की स्त्री वेश्या कहलाती है, उसका धन देने वाले के अतिरिक्त अन्य कोई प्रिय नहीं होता है। 4
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नायक में अनुरक्त जो नायिका नायक के द्वारा स्वयं स्वीकार राजा दुष्यन्त
की जाती है, वह अनूढा कहलाती है। यथा
की शकुन्तला अनूढा नायिका है। ।
क्षमावान्, अतिगम्भीर प्रकृतिवाली, घोर चरित्रवान तथा देवता एवं गुरूजनों की साक्षीपूर्वक ग्रहण की गई स्वकीया नायिका है। 2
परकीया भी अनूढा की तरह होती है, किन्तु उन दोनों में तात्त्विक भेद है। परकीया काम के वशीभूत होकर स्वयं प्रिय ते अपना अभिप्राय प्रकट करती है व अनूढा सखियों के माध्यम से। 3
वाग्भटालंकार, 5/12
वही,
वही, 5/14
वहीं, 5/15
5/13