________________
आ. हेमचन्द्र ने माधुर्य, ओज तथा प्रसाद
इन तीन गुणों को स्वीकार करते हुए। अन्य सभी गुणों का खण्डन किया है। आ, मम्मट द्वारा किये गये खण्डन की अपेक्षा आ. हेमचन्द्र का खण्डन- मण्डन अधिक व्यापक है । आ. मम्मट ने केवल वामनसम्मत दस गुणों का ही खण्डन किया है जबकि आ. हेमचन्द्र ने स्वोपज्ञ विवेक टीका में विस्तारपूर्वक दसवादी आचार्यों के अतिरिक्त अज्ञातनामा आचार्यसम्मत, ओज, प्रसाद, मधुरिमा, ताम्य और औदार्य नामक 5 गुण का भी खण्डन किया है? तथा उनका भी खण्डन किया है जो छन्द विशेष के आधार पर गुणों की शोभा मानते हैं, स्रग्धरा आदि छन्दों में ओजो गुण आदि। 3 उनकी मान्यता है कि
जैसे
1. माधुयज : प्रसादास्त्रयो गुणाः ।।
काव्यानुशासन 4/1
294
-
2 ओज : प्रसादमधुरिमापः साम्यमौदार्य च पंचत्यपरे । तथा हियददर्शित विच्छेदं पठतामोजः, विच्छ्यि पदानि पठतां प्रसादः, आरोहावरोहतरं गिपि पाठे, माधुर्य, सप्तौष्ठवमेव स्थानं पठतामौदार्य अनुच्चनीचं पठतां साम्यमिति । तदिदमली कल्पनातन्त्रम्। यद्विषयविभागेन पाठनियमः स कथं गुणनिमित्तमिति । काव्यानुशासन, 4/1 / टीका
3. छन्दो विशेष निवेश्या गुणसंपत्तिरिति केचित् । तथा हि सग्धरादिष्वोज: ।
वही, 4/1 विवेक टीका