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उपकथा - जहाँ प्रसिद्ध कथान्तर का किसी एक पात्र में उपनिबन्धन किया
जाता है, वह उपकथा है ।। यथा चित्रलेखादि ।
बृहत्कथा
के समान बृहत्कथा होती है। 2
कथा के इतने अधिक उपभेदों का उल्लेख किसी भी अन्य आचार्य ने नहीं किया है।
गध
चम्पू : चम्पू का सर्वप्रथम उल्लेख आचार्य दण्डी ने किया है। उनके अनुसार पद्यमय मिश्र शैली में निबदु रचना चम्पू कहलाती है। 3
1.
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लम्भों से अंकित अद्भुत अर्थवाली नरवाहनदत्त आदि के चरित
जैनाचार्य हेमचन्द्र चम्पू का स्वरूप निरूपण करते लिखते हैं कि साङ्क, तथा उच्छ्वासों में विभक्त गद्य पद्यमयी रचना चम्पू है। इसकी रचना संस्कृत भाषा में होती है। चम्पूकाव्य का उदाहरण वासवदत्ता अथवा दमयन्ती हैं। वाग्भट द्वितीय ने चम्पू का हेमचन्द्रसम्मत स्वरूप ही प्रस्तुत किया है।
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3. काव्यादर्श, 1/31
5.
2. लम्भांकिताद्भुतार्था नरवाहनदत्तादिपरितवढ बृहत्कथा । वही, 8 / 8 वृत्ति |
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एकतरचरिताश्रयेण प्रसिद्ध कथान्त रोपनिबन्ध उपकथा |
वही, 8 / 8 वृत्ति।
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गधपद्यमयी सांका सोच्छ्वासा चम्पूः । काव्यानु, 8/9
गद्यपद्यमयी सांका सोच्छ्वासा चम्पूः । काव्यानु, वाग्भट, पृ. 19