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काव्य - हेतु
कवि की विलक्षप कृति इस काव्य का उदभव कैसे होता है? कवि के व्यक्तित्व में कौन सी विशेष बात होती है जिसप्त सहदयों को आहलादित करने वाले काव्य का स्फरप हो जाता है। इस प्रश्न का भारतीय काव्याचार्यों ने अत्यन्त वैज्ञानिक विवेचन किया है तथा काव्यनिर्माप के कारणों पर विचार करते हुए अलंकारिकों ने परस्पर विरोधी मत व्यक्त किए हैं तथा उनमें मतैक्य नहीं दृष्टिगत होता। संबद्ध विषय की दो प्रकार की विचार पद्धतियाँ प्रदर्शित होती हैं। एक मत के अनुसार काव्य का कारप एक मात्र प्रतिमा होती और व्युत्पति तथा अभ्यास उसके संस्कारक तत्व होते हैं, पर अन्य मत इस विचार का पोषक है कि प्रतिभा, व्युत्पत्ति तथा अभ्यास तीनों समष्टिरूप से ही काव्य-निर्माप के हेतु हैं।
सर्वप्रथम आ. भामह ने काव्य - हेतुओं पर प्रकाश डालते हुए लिखा है कि गुरू के उपदेश ते मर्य लोग भी शास्त्रों का अध्ययन करने में समर्थ हो सकते हैं पर काव्य तो किसी प्रतिभाशाली व्यक्ति में यदाकदा स्फुरित । होता है। काव्य - सर्जना हेतु व्याकरप, छन्द, कोशा, अर्थ, इतिहासाश्रित कथा, लोकज्ञान, तर्कशास्त्र तथा कलाओं का काव्य-सर्जना हेतु मनन करना चाहिए। पब्दि और अर्थ का विशेष रूप से ज्ञान करके काव्य-प्रपेताओं की उपासना तथा अन्य कवियों की रचनाओं को देखकर काव्य - सर्जना में