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१ ख १
ग
कार्यवश विप्रलम्भ
लिए प्रवास (दूसरे स्थान पर जाता है, ऐसी दशा में होने वाले विप्रलम्भ को कार्यवश विप्रलम्भ कहते हैं । यथा "याते द्वारवती -" इत्यादि पद्य में किसी कार्यवश श्रीकृष्ण के द्वारिका
चले जाने पर राधा का विरह वर्णित हुआ है।
3.
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शापवर्श विप्रलम्भ शाप के कारण दीर्घकाल तक प्रियतम के प्रवास रहने से उत्पन्न विरहावस्था को शापवश विप्रलम्भ कहते हैं।
इसके लिये हेमचन्द्र ने कालिदासकृत मेघदूत काव्य को ही उदाहरण बनाया है। 2
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जब किसी कार्यवश प्रियतम दीर्घकाल के
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I. वही, पृ. 113
2. वही, पृ. 113
वही, पृ. 113
संभ्रमवश विप्रलम्भ - विप्लववश होने वाली व्याकुलता को संभ्रम कहते हैं यथा * किमपि किमपि 3. इत्यादि पद्य में मकरन्द के
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युद्ध
मैं सहायतार्थ गये हुए माधव की विह्वलता वर्पित है।
सोदाहरण विस्तारपूर्वक प्रतिपादन किया है।
इस प्रकार आचार्य हेमचन्द्र ने विप्रलंभ श्रृंगार के भेद - प्रभेदों का