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इस प्रकार हेमचन्द्राचार्य ने वाच्य ते भिन्न स्वरूप वाली वस्तुध्वनि के तेरह उदाहरणों को प्रस्तुत कर ध्वनि का प्रबल समर्थन किया
है ।
अलंकार महोदधिकार नरेन्द्रप्रभसरि ने भी ध्वनि की सिद्धि के लिये विधि से निषेध, निषेध ते विधि, विधि से विध्यन्तर, निषेध से निषेधान्तर, विधि से अनुभय, निषेध ते अनुभय, संशय से निश्चय, निन्दा से स्तुति और वाच्य ते विभिन्न विषय रूप अनेक भेदों का सोदाहरण विवेचन किया है, जिनमें अधिकांशत: हेमचन्द्र सम्मत हैं।
संलक्ष्य क्रमव्यंग्य : संलक्ष्यक्रमव्यंग्य के सामान्यतः तीन भेद माने जाते हैं-शब्दशक्तिमूलक व्यंग्य, अर्थशक्तिमूलक व्यंग्य तथा उभयशक्तिमूलक व्यंग्य | पर आचार्य हेमचन्द्र उभयशक्तिमूलक व्यंग्य को शब्दशक्तिमूलक व्यंग्य ते पृथक् नहीं मानते हैं क्योंकि वहां पर प्रधानरूपेण शब्द की ही व्यंजना होती है। 2 आ. नरेन्द्रप्रभरि 3 ने उक्त तीनों ही भेद स्वीकार किये हैं।
शब्दशक्तिमूलकव्यंग्य : आ. हेमचन्द्र के अनुसार अनेकार्थक मुख्य शब्द का संसर्गादि नियामकों द्वारा अभिधा रूप व्यापार के नियंत्रित हो जाने पर
1. अलंकारमहोदधि, पृ. 116-118
2. काव्यानुशासन, पु, 57
3. अलंकारमहोदधि, पृ. 116-118