Book Title: Parshvabhyuday
Author(s): Jinsenacharya, M G Kothari
Publisher: Gulabchand Hirachand Doshi

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Page 594
________________ ( ४६३ ) pound implying vicinity or the sense of the Locative case. विप्रकीर्णप्रवाही - having her flow scattered or increased abundantly. विप्रकीर्णः प्रसृतः अतिविशालः वा प्रवाहः यस्याः सा । ताम् । तीरोपान्तस्खलनविषमोवृत्त फेनांhaving her foam increased vehemently owing to the dashing or stumbling of her flow against the skirts of her banks. तीरयोः तटयोः उपान्ते स्खलनेन वृक्षोपलादिप्रतिबन्धजनितगतिस्खलनेन विषमं यथा स्यात्तथा उद्वृत्तः प्रवाहोपरितनभागं प्राप्तः फेनः डिण्डीरपिण्डः यस्याः सा । ताम् । समीनाabounding in fish. गिरितटगजक्षोभ भिन्नोर्मिमालां - - having series of waves brought into being by the agitation caused by the elephants dwelling on the slopes of the mauntain or having her water stirred into series of waves by the elephants and on account of the slopes of the mountain. गिरितटश्च गजाश्च गिरितटगजाः । यद्वा गिरितटभवाः गजाः गिरितटगजाः । तेषां क्षोभैः भिन्ना विरचिता वीचीनां कल्लोलानां माला परम्परा यस्यां सा । भक्तिच्छेदैः विरचित --- made by means of variously coloured stripes. भक्तीनां वर्णविरचितमनोहराकृतीनां छेदाः विभागाः भक्तिछेदाः । तैः । भूतिdecoration of an elephant, 'भूतिर्मातङ्गाङ्गारे भस्मसम्पत्तिजन्मसु ' इति विश्वलोचने । > Stanza 77 - तिक्तैः - fragrant. वनगजमदै: - by the ichor of wild 'young elephants. वासितं - made fragrant ' वासितं विहगारवे । दाने त्रिष्वेव वसनवेष्टिते सुरभीकृते इति विश्वलोचने । पुष्करेण— with their trunks. 'पुष्करं व्योम्नि पानीये हस्तिहस्ताग्रपद्मयोः ' इति विश्वलोचने । कलभकैः -- by the cubs of elephants. बासनावासितस्य - free from all desires. वासित - a p. P. form derived from the root वस्- 10u. -- (i) to cut off, (ii) to hurt, .injure. वासना इच्छा आ समन्तात् वासिता दूरीकृता येन सः । The p. p.form वासित is placed after the word वासना under the rule. 'वाहिताग्न्यादिः '. This compound may also be solved as आवासिता संस्कृता उबुद्धा वा वासना इच्छा यस्य सः । In this case also, the rule वाहिताग्न्यादिः , is applicable. प्रायोग्यं - deserving to be utilised प्रयोगे उपयोगे साधु प्रयोग्यं । प्रयोग्यमेव प्रायोग्यम्. The termination य and after it the स्वार्थिक termination अण् are affixed to the word प्रयोग under the rule 'तत्र साधुः '. Jain Education International For Private & Personal Use Only 6 www.jainelibrary.org

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