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तेषां दिक्ष-I-93 to 96 त्वं चेद्वायो-II-60 to 62 त्वनिष्यन्दो-II-29-30 त्वय्यायत्तं-I-61 to 64 त्वय्यादातुं-II-37 to 40 त्वामारूढं-I-29 to 32 त्वामासार-I-65 to 68 त्वामालिख्य-IV-32 to 35 दी/कुर्वन-I-111-112 घूमज्योतिःसलिल-I-17 to 20 नन्वात्मानं-IV-44-45 निःश्वासेना-III-46-47 नीराख्यं-I-97 to 100 नीपं दृष्ट्वा -I-81 to 84 नीवीबन्धो-II-113 to 116 नूनं तस्या:-III-26-27 नेत्रा नीता-II-117-118 पत्रश्यामा-III-8-9 पश्चादुच्चः -II-13 to 16 पाण्डुच्छाया-I-89 to 92 पादन्यास-II-9 to 12 पादानिन्दो-III-50-51 प्रत्यासन्ने-1-13 to 16 प्रद्योतस्य-I-113-114 प्राप्यावन्तीन्-I-109-110 प्रालेयाद्रेः-II-69-70 प्रोत्थाप्यनां-IV-9 to 12 ब्रह्मावर्त-II-45 to 47 भर्तुः कण्ठच्छवि-II-1 to 4 भर्तुमित्र-IV-13 to 16 भित्त्वा सद्य:-IV-42-43 भूयश्चाह-IV-49-50 मत्वा देवं-III-10-11
मन्द मन्द-1-37 to 40 मन्दाकिन्या-III-2-3 मामाकाश-IV-36 to 38 मार्ग मत्त:-I-49 to 52 यत्र स्त्रीणां-II-89 to 92 यत्रोन्मत्त-II-101 to 104 यस्यां यक्षा-II-109 to 112 ये संरम्भो -II-63-64 रक्ताशोक-III-28-29 रत्नच्छायव्य-I-57 to 60 रुद्धापाग-III-56-57 वक्रः पन्था:-1-103-104 वापी चास्मिन्-III-14-15 वामश्चास्या-IV-1 to 4 वासश्चित्रं-III-6-7 विद्युद्वन्तं-II-85 to 88 विश्रान्तः सन्-I-101-102 वीचिक्षोभ-I-105-106 वेणीभूत-I-107-108 शब्दायन्ते-II-67-68 शब्दाख्ययं-IV-27-28 शापान्तो मे-IV-46 to 48 शेषान्मासान्-III-40-41 श्यामास्वङग-IV-29 to 31 सङक्षिप्यत-IV-39 to41 सन्तप्तानां--25 to 28 सव्यापारां-III-42-43 सा सन्यस्ता -III-52-53 हस्ते लीला-II-105 to 108 हारांस्तारान्-I-115-116 हित्वा हालां-II-48 to 50 हेमाम्भोज-II-79-80
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