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स्वास्थ्य मन्त्रो.
जयपुर,
राजस्थान 30 मार्च, 1976
सन्देश
यह बहुत ही खुशी की बात है कि आपकी संस्था गत 13 वर्षों से स्मारिका का प्रकाशन करती आ रही है और जो सन्दर्भ ग्रन्थ का स्थान प्राप्त कर चुकी है।
किसी भी प्रकाशन की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उसके पठन पाठन से समाज को कितना लाभ पहुँचता है। सत्साहित्य की यही पहिचान है । इस दृष्टि से यदि प्रकाशन एवं अन्थ भी अधिकाधिक लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण बनाना है तो उसमें प्रकाशित सामग्री लोकोपयोगी एवं जन कल्याणकारी होनी चाहिए।
आशा है आपकी यह स्मारिका इस दृष्टि से परिपूर्ण होगी। मैं आपके इस प्रयास की सफलता चाहता है।
भवदीय, मोहन छांगारणी
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