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आज प्रायः सर्वत्र ही भगवान् महावीर के सिद्धान्तों में अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकान्त पर ही जोर दिया जाता है । प्रायः सारे ही लेखक उनके इन सिद्धान्तों का वर्णन करते हैं । सत्य अनेकान्त और स्याद्वाद में अन्तगभित हो जाता है। प्रचौर्य और ब्रह्मचर्य को बहुत कम लेखक छूते हैं जबकि समाज और व्यक्ति दोनों के उत्थान में इन दोनों का महत्व भी असंदिग्ध रूप से कम नहीं है ।
कैसे ? पढ़िए विद्वान् लेखक की इन पंक्तियों में।
प्र० सम्पादक
महावीर के सिद्धान्त एवं समस्याओं
का समाधान श्री भूरचन्द जैन, बाड़मेर
विश्व वसुन्धरा पर आजकल आसुरी प्रवृत्तियों बन चुकी हैं । हिंसा पग-पग पर व्यापक रूप धारण का प्रादुर्भाव बढ़ता जाता है जिसके परिणामस्वरूप कर रही है । धर्म का स्थान अधर्म ने ले लिया है। चारों ओर हिंसा एवं पाप लीलाएँ बढ़ गई हैं । भाई ..
विश्व आज भौतिक उपलब्धियों के युग में भाई का कट्टर दुश्मन बन चुका है। मानव मानव के रक्त का प्यासा हो उठा है। चोरी, डाका,
मानव विकास की ओर नहीं अपितु विनाश की ओर
बढ़ता जा रहा है। आजकल आर्थिक लोभवृत्ति ने आगजनी, अत्याचार, अनाचार, आडम्बर, बलात्कार, व्यभिचार, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी, तस्करी की
इन्सान को क्रूर से क्रूर कार्य करने के लिये मजबूर मनोवृत्तियाँ बिना किसी अंकुश के बढ़ती जा रही
कर दिया है । विलासिता इतनी अन्धी हो चुकी है हैं । शासक लोभवृत्ति के कारण आम जनता का
कि आज नग्नता का प्रदर्शन हो रहा है। संग्रह, जीवन दुःखमय बन चुका है । आधुनिक शासक भी
__भ्रष्टाचार एवं तस्करी सीमा को लांघ चुकी है।
प्रष्टाचार ए
जिसके कारण मानव को आवश्यक आवश्यकतामों की रक्षक की जगह भक्षक बनते जा रहे हैं। भाईभतीजावाद के कारण शासकवर्ग ने न्याय-मार्ग छोड वस्तुएं जीवन निर्वाह के लिये मिलनी दुर्लभ हो चुकी दिया है। इनके अत्याचार, अनाचार एवं अनैतिक
हैं । बलात्कार ने महिलाओं की इज्जत मटियामेट कार्यों से जनसाधारण नागरिक का जीवन दुर्लभ
कर दी है। महिलाओं के साथ अनैतिक अड्डे जगह हो चुका है। प्रजापालक, अमीर एवं सेठ साहूकार
जगह आधुनिक क्लबों का रूप धारण कर चुके हैं। भौतिक विलासिता के प्रमुख अंग बन चुके हैं। गरीब
विश्व चोरी, डाके, आगजनी, हड़ताल, अाम्दोलन, और श्रमिकवर्ग खून की तरह पसीना बहाकर भी
तोड़फोड़ का भीषण शिकार हो गया है। चारों भरपेट रोटी के लिये तड़प रहा है । सत्य का नामो
प्रोर अशान्ति, असंतोष, अधकार का वातावरण निशान मिट चुका है। अपरिग्रह केवल आदर्श रह फल चुका है। गया है । ब्रह्मचर्य का आदर्श आधुनिक विलासिता में विश्व की आधुनिक समस्याओं का समाधान लुप्त हो चुका है। चोरी-डाका आज आम घटनाएँ करने के लिये त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति, धैर्य
महावीर जयन्ती स्मारिका 76
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