Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 1976
Author(s): Bhanvarlal Polyaka
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

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Page 349
________________ पं० चैनसुख दास न्यायतीर्थ स्मृति ग्रन्थ (जैन साहित्य एवं संस्कृति का ज्ञानकोष) सम्पादक : पं० मिलापचन्द शास्त्री, डॉ. कमलचन्द सौगानी, डॉ० कस्तूरचन्द कासलीवाल । प्रबंध सम्पादक . श्री ज्ञानचन्द्र खिन्दूक्का । प्रकाशक : प्रबंधकारिणी कमेटी श्री दि० जैन अतिशय क्षेत्र, श्री महावीरजी । मुद्रक : मनोज प्रिन्टर्स, गोदीकों का रास्ता, जयपुर । प्राप्ति स्थान : साहित्य शोध विभाग-श्री दि० जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीर भबन-एस० एम० एस० हाईवे, जयपुर । - साइज-20x30/8 । मूल्य चालीस रुपये । दीर्घ प्रतीक्षा के पश्चात् महावीर क्षेत्र का यह प्रकाशन आखिर पाठकों के हाथों पहुँच ही गया। देर प्रायद दुरुस्त प्रायद । 418 पृष्ठों का यह वृहद्ग्रन्थ खण्ड-1 : श्रद्धाञ्जलियां, जीवन, व्यक्तित्व, एवं संस्मरण; खण्ड-2 : धर्म एवं दर्शन; खण्ड-3 : साहित्य एवं संस्कृति, खण्ड-4 : इतिहास एवं पुरातत्व--इस प्रकार चार खण्डों में विभक्त है जिसमें देश के अपने अपने क्षेत्र के अधिकृत विद्वानों द्वारा लिखित जानकारी से परिपूर्ण लेख हैं । किन्तु श्रद्धेय पण्डित साहब के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों का उल्लेख इसमें न होना निश्चय ही एक खटकने वाली कमी है यथा-उनका पद्मपुरा क्षेत्र की कार्यकारिणी से स्तीफा । इस इस्तीफे का महत्व केवल इस कारण ही नहीं है कि इससे इनके जीवन के अन्तिम समय की मानसिक स्थिति का पता लगता है अपितु, वह शायद उनका अन्तिम ऐसा कागज था जिस पर उन्होंने हस्ताक्षर किये थे। उनके बाबू पण्डित के झगड़े आदि सामाजिक क्षेत्र में जो योग था उसका भी जिक्र नहीं है । राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित होते समय जो प्रशस्तिपत्र प्रादि उनको मिले थे उनके चित्र भी यदि होते तो अच्छा था । इसी प्रकार कुछ महत्वपूर्ण मानपत्र, अभिनन्दन पत्र आदि जो उन्हें प्राप्त हुए उनमें से कुछ की प्रतिलिपि भी यदि होती तो ठीक होता। यत्र तत्र मुद्रण की भूलें विशेषतः शीर्षकों में भोजन करते समय कंकर मुंह में आने जैसी हैं। वैसे प्रकाशन सुन्दर, उपयोगी और मनोहर है जिसके लिए सम्पादक मण्डल के सदस्य, प्रबंध सम्पादक ग्रादि सभी धन्यवाद के पात्र हैं। "3-24 महावीर जयन्ती स्मारिका 76 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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