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दिल्ली में 'वर्तमान समस्याओं के सन्दर्भ में संगोष्ठी अजमेर में आयोजित की गयी थी जिसके भगवान् महावीर का सन्देश' विषयक संगोष्ठी संयोजक डा० कस्तूरचंद कासलीवाल रहे । इसमें अखिल भारतीय दिगम्बर भगवान् महावीर पचास विद्वान् सम्मिलित हुए और चार गोष्ठियों २५०० वां निर्वाण-महोत्सव-सोसायटी, दक्षिण में बीस शोधपत्र पढ़े गये। दिल्ली और जैन सभा, नई दिल्ली (दक्षिण) के । संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गयी थी। इसी
वीर-निर्वाण-महोत्सव के समापन में अनेक वर्ष सागर में गणेश प्रसाद वर्णी जन्म-शताब्दी भी
सेमिनार तथा गोष्ठियों की नियोजना निर्वाणोत्सव मनायी गयी जिसमें महावीर तथा वर्णीजी पर
केन्द्रीय समिति द्वारा की गई जिनके विषय निम्नसंयुक्त कार्यक्रम समूचे वर्ष भर होते रहे । उज्जैन ।
- लिखित रहे-(१) भगवान् महावीर के उपदेशों में 'आधुनिक सन्दर्भो में महावीर' पर एक रोचक
की आज के युग में सार्थकता। (२) भारतीय तथा सारगर्भित संगोष्ठी हुई।
संस्कृति में जैनधर्म का योगदान । (३) अंतर्राष्ट्रीय
महिला-वर्ष के सन्दर्भ में : महावीर और नारी । निर्मल कुमार बोस स्मारक प्रतिष्ठान, (४) जैनधर्म और तीर्थङ्कर परम्परा । (५) अहिंसा वाराणसी के तत्वावधान में एक त्रिदिवसीय एवं विश्वशांति । इन विषयों पर हिन्दी में विपुल उल्लेखनीय गोष्ठी आयोजित की गयी जिसमें जैन साहित्य प्रकाशित होकर पाया है। विद्वानों, समाज शास्त्रियों, मानवशास्त्रियों, अर्थशास्त्रियों, इतिहासज्ञों और दर्शनशास्त्रियों के
____ सन् १९७६ के प्रारम्भ में सागर विश्वविद्याअतिरिक्त स्वतंत्र लेखकों, पत्रकारों एवं समाज
लय की जैन धर्म की राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश तथा सेवियों ने भी भाग लिया। छः विश्वविद्यालय एवं
प्रदेश के बाईस विद्वानों ने शोधपत्र का वाचन चार शोध संस्थानों से सम्बन्धित विद्वान् स्थानीय
किया। इस संगोष्ठी में पुष्कल वाङमय आया है ईसाई, मुसलमान, सिख, बौद्ध तथा हिन्दुओं के
जिसे विश्वविद्यालय प्रकाशित कर रहा है । भोपाल विविध सम्प्रदायों के संन्यासी तथा वैरागी महात्मा
विश्वविद्यालय की जैन-विधा संगोष्ठी में अनेक भी सम्मिलित हुए।
विद्वानों ने शोधपत्र पढ़े। उक्त संगोष्ठी में यह प्रमुख निष्कर्ष तथा
इन समस्त संगोष्ठियों में जैन धर्म तथा महासुझाव स्वीकार किया गया था कि भारतीय वीर स्वामी विषयक पुष्कल सामग्री राष्ट्रीय स्तर सामाजिक चितन की परम्परा के एक महान् स्तम्भ पर प्रस्तुत हुई है जिसकी प्रकाशनोपरांत उपलब्धि के रूप में महावीर के सामाजिक चितन के अध्ययन महार्घ होगी। इसमें शोध की विभिन्न छवियाँ तथा की परमावश्यकता है। उपर्युक्त संगोष्ठी में दृष्टियाँ मिलती हैं और नये परिप्रेक्ष्य तथा आयामों वैविध्यपूर्ण तथा विचारोत्तेक शोध सामग्री आलोक में तत्वों को सार्थकतापूर्वक उपस्थित किया गया है । में आयी।
भगवान महावीर पर सुनियोजित तथा स्फुट निर्वाणोत्सव की समापन बेला में अखिल शोध की दृष्टि से अनेक मनीषियों के नाम उल्लेखभारतीय दिगम्बर भगवान् महावीर २५०० वां नीय हैं जिनमें प्राचार्य तुलसी, मुनि नथमल, मुनि निर्वाण महोत्सव सोसायटी की राजस्थान प्रदेश- हस्तीमल महाराज, डा० नथमल टाटिया, डा. समिति की ओर से 'भारतीय संस्कृति, साहित्य एवं भागचन्द्र जैन, डा० हरीन्द्र भूषण जैन, डा. कैलाश दर्शन के विकास में जैन धर्म का योगदान' विषयक चन्द्र जैन, डा० ईश्वरचन्द्र शर्मा, डा. प्रेमसुमन महावीर जयन्ती स्मारिका 76
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