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मासिक 'सूत्रकार' (कलकत्ता) का '२५०० वां नाम हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में मील के पत्थर निर्वाण वर्ष : तीर्थङ्कर महावीर विशिष्टांक' का कार्य करते हैं। (जनवरी-फरवरी, १९७५) (प्रधान सम्पादक :
अन्यान्य वाङमय तीर्थकर महावीर : बजरंग सम्पादक स्नेही आत्मा), साप्ताहिक 'जैन भारती' (कलकत्ता) का 'भगवान् महावीर २५००वां
आचार्य श्री विजय धर्मसूरि महाराज की निर्वाण महोत्सव विशेषांक' (१६ फरवरी, १९७५) प्रेरणा तथा मंगलाशीष से सम्पूर्ण भारत में मनाये (सम्पादक मण्डल : भदंत रेवतधम्म, धम्मायरिय,
गये निर्वाण-शताब्दी के समारोह के समस्त आकलन जैनेन्द्र कुमार जैन, डा० नथमल टांटिया, डा० ।
को साप्ताहिक 'जैन' (भावनगर) के विशाल गोकुलचन्द्र जैन, ऋषभदास रांका और डा० महा- 'निर्वाण महोत्सव माहिती विशेषांक' में सचित्र वीर राज गेलड़ा, सम्पादक : बच्छराज संचेती, रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रबंध-सम्पादक : धर्मचन्द्र पुगलिया), पाक्षिक
भगवान् महावीर को लेकर श्रमण जैन भजन 'श्रमणोपासक' (बीकानेर) का 'महावीर जयंती तथा प्राचीन जैन भक्ति रचनाओं एवं प्रवचनों के विशेषांक' (२० अप्रेल, १६७५) )सम्पादक मण्डल : ग्रामोफोन रिकार्ड तैयार किये गये हैं यथा : जगराज सेठिया, डा० मनोहर शर्मा और डा० शांता (क) हमारी वीर हरो भव पीर. अब मोहे तार भानावत), साप्ताहिक 'प्रतिप्रवाह' (दुर्ग) का लेह महावीर (ख) सिद्धारथ राजा दरबारे बजत 'महावीर-जयंती-विशेषांक' (२२ अप्रैल, १९७५) बधाई. बाबा मैं न काह का कोई नहीं मेरा रे (सम्पादक : बी० एल० जैन, प्रबंध-सम्पादक : (ग) श्री महावीराष्टकस्तोत्रम् (घ) चंदन मेरे गांव
जैन, सह-सम्पादक : लवकुश गुप्ता और की मांटी प्रगट भये महावीर (ङ) करों प्रारती पद्मचंद पाटनी), मासिक 'श्री अमरभारती' (आगरा) वर्द्धमान की, मुझे महावीर भरोसो तेरो भारी का 'भगवान् महावीर निर्वाण शताब्दी वर्ष :
(च) भगवान महावीर के जन्म पर बधाई गीत महावीर-जयंती-विशेषांक' (अप्रैल, १६७५) (प्रेरणा:
(छ) धर्म और पावा तीर्थ (प्रवचन : मुनि श्री श्री अखिलेश मुनि और मुनि श्री समदर्शी 'प्रभाकर' विद्यानंद) (ज) प्रवचन : प्राचार्य रजनीश दिशानिर्देश : पं० विजयमुनि शास्त्री और पं० मुनि
इत्यादि। श्री नेमीचन्द्र, सम्पादक : श्रीचंद सुराना 'सरस,' चन्द्रभूषण मणि त्रिपाठी, प्रतापचन्द्र जैन और पयश्री देवीलाल सामर के मौलिक प्रयास तथा महावीर प्रसाद जैन, मासिक 'जिनवाणी' (जयपुर) विशेष देन के रूप में निर्वाण-शताब्दी-वर्ष के का 'जैन संस्कृति और राजस्थान विशेषांक' (अप्रेल- अन्तर्गत एक कठपुतली नाटिका (महावीर नाटिका) जुलाई, १९७५) प्रधान सम्पादक : डा० नरेन्द्र
'वैशाली का अभिषेक' तैयार की गयी है जिसके भानावत, सम्पादक : डा. कमलचंद सोगानी और प्रमुख आकर्षणों में से माता त्रिशला को स्वप्न, डा० (श्रीमती) शांता भानावत, सह सम्पादक : इन्द्र द्वारा अभिषेक, शूलपाणी यज्ञ के उत्पाद, डा० प्रेम सुमन जैन, डा० महेन्द्र भानावत, डा० देव । चण्डकौशिक दंश, केवल ज्ञान तथा भगवान महावीर कोठारी और महावीर कोटिया), अर्द्ध वार्षिक के सन्देशों का समवशरण आदि है । 'प्राच्य भारती' (भोपाल) का 'जैन विशेषांक' उपसंहार : (जनवरी, १९७५) (सम्पादक : प्राचार्य कृष्णदत्त डा० कस्तूरचंद कासलीवाल ( 'तीर्थङ्कर' : वाजपेयी और डा० किरीट मनकोडी) आदि के जनवरी, १९७२ ) ने अपने निबंध 'हिन्दी में
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महावीर जयन्ती स्मारिका 76
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