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जैनधर्म और भगवान महावीर ले. डा० देवेन्द्रकुमार शास्त्री, प्र० सिंघई मुन्नीलाल, राधाबाई जैन ट्रस्ट, इन्दौर (म० प्र०) मूल्य 3 रु० ।
प्रस्तुत पुस्तक एक संकलन मात्र है। इसमें अब तक के विचारों का संक्षिप्त संकलन किया गया है । यह संकलन जैनधर्म और भगवान महावीर के सम्बन्ध में एक रूपरेखा विविध आयामों में प्रकट करने वाला है । प्रयास स्तुत्य है । छपाई मुद्रण एवं कागज सभी अच्छे है ।
तीर्थकर मासिक इन्दौर का श्रीमद्विजयराजेन्द्र सूरीश्वर विशेषांक
सम्पादक-डा० नेमीचन्द जैन प्रज्ञा-पुरुष श्रीमद् राजेन्द्र सूरीश्वरजी को पत्र की एक अकिंचन श्रद्धाञ्जली है । इसमें पांच खण्डों में जीवन, परिशिष्ट, शब्द, पार्श्व वद्धमान और धर्म संस्कृति शीर्षकों में सामयिक सामग्री का चयन कर विद्वान सम्पादक ने उन्हें इस तरह प्रस्तुत किया है कि श्री विजय राजेन्द्रसूरीश्वर पर शोध करने बालों को यह मार्गदर्शक होगी।
वचन दूतम पं० मूलचन्द शास्त्री--मालथौन वाला, प्र० साहित्य शोघ विभाग, श्री दि० जैन अति० क्षेत्र श्री महावीर जी, हावीर भवन, चौड़ा रास्ता जयपुर, मूल्य 5 रुपये। __इस रचना के रचयिता ने महाकवि कालिदास के खण्ड काव्य मेघदूत के चतुर्थ पाद को लेकर की है । इसमें नेमि-राजुल के विवाह के संदर्भ कथानक का वर्णन है । यह दूत काव्य दो भागों में विभक्त है । पूर्वार्ध में ध्यानस्थ नेमि के निकट राजुल की मनोदशा का अंकन है। उत्तरार्द्ध में राजुल से हताश होकर गिरि से लौट आने के समाचार सुनकर उसके माता पिता सखियों की उनके पास प्रकट की गई अपनी अन्तर्द्वन्द से भरी हुई मानसिक पीड़ा का वर्णन है ।
पुस्तक के मुद्रण में प्रसध्य असावधानी बरती गई है प्रकाशक बधाई के पात्र है जिन्होंने संस्कृत काव्य रचना को प्रकाशित कर इस परम्परा को आगे बढ़ाया है ।
श्री शास्त्र स्वाध्यायशाला, श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, सब्जी मण्डी,
बर्फखाने के पीछे, दिल्ली-7 द्वारा प्रकाशित
सम्पादक-पं हीरालाल जैन, कौशल, साहित्य रत्न । (1) पूजन पाठ प्रदीप, (2) भक्तामर स्रोत्र, (3) छहढाला संग्रह, (4) दीपावली पूजन विधि (5) आत्म कल्याण के साधन (6) तीर्थकर भगवान् महावीर व उनकी अहिंसा (7) सोनगढ़ सिद्धांत, लेखक श्रु ल्लख श्री 105 सुमतिसागरजी महाराज (कानपुर वाले) महावीर जयन्ती स्मारिका 76
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