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संस्कृति नियम पर विषय मनीषियों के 16 विद्वत्तापूर्ण लेख हैं, द्वितीय खण्ड में 'राजस्थान में जैन संस्कृति का विकास' विषय पर सारगर्भित 4 लेख हैं । तृतीय सबसे बड़ा महत्वपूर्ण है । इस खण्ड में राजस्थान का सांस्कृतिक विकास और जैन धर्मानुयायी विषय पर 31 शरेधपूर्ण लेख हैं । चतुर्थ खण्ड में 'राजस्थान के सांस्कृतिक विकास में जैनधर्म एवं संस्कृति का योगदान' में 9 प्रबुद्ध विचारकों की परिचर्चा है ।
भगवान महावीर स्मृति ग्रन्थ प्रधान सम्पादक-डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन लखनऊ । प्रकाशक-श्री महावीर निर्वाण समिति, उत्तर प्रदेश, लखनऊ । मूल्य-50 रुपये पृष्ठ लगभग साढ़े चार सौ ।
___2500 वें निर्वाण महोत्सव वर्ष के उपलक्ष में श्री महावीर निर्वाण समिति उत्तर प्रदेश की ओर से यह विशाल ग्रन्थ प्रकाशित हुआ है।
ग्रन्य की रूपरेखा, व्यवस्था एवं सम्पादन का भार जैन जगत् के प्रतिष्ठित विद्वान् विद्यावारिधि डॉ. ज्योतिप्रसादजी जैन ने वहन किया है ।
ग्रन्थ अत्यन्त उपयोगी है । यह सात खण्डों में निम्न विषयों को लेकर विभक्त है। ..
1. महावीर वचनामृत, 2. महावीर स्तवन, 3. महावीर : युग, जीवन और देन, 4. जैनधर्म, दर्शन और संस्कृति 5. शाकाहार, 6. उत्तर प्रदेश और जैनधर्म, 7. महावीर निर्वाण समिति, उ० प्र० का गठन, (कार्यकलाप एवं उपलब्धियां) ।
इसके अतिरिक्त प्रकाशकीय वक्तव्य, सम्पादकीय, सन्देश, शुभ कामनायें, श्रद्धांजलियां एवं चित्ताकर्षक अनेक चित्र हैं।
कतरनों के शिलालेख
सम्पादक-सुरेश सरल । प्रकाशक-अ० भा० अनेकान्त साहित्यकार परिषद, जबलपुर, (म० प्र०)।
____ 'कतरनो के शिलालेख' सहित्यकार परिषद् जबलपुर की ओर से भगवान महावीर के 2500 वें निर्वाण वर्ष के पावन अवसर पर जन सामान्य को एक विशेष भेट है।
इस पवित्र भूमि पर अवतरित हुए विभिन्न मनीषियों ने कब क्या कहा है ? उनके विशिष्ट विचार बिन्दुओं को जो प्रस्तर शिलालेख पर उत्कीर्ण करने योग्य हैं, उन्हें इस लधु कागजी शिलालेख द्वारा हृदय शिलालेख पर उत्कीर्ण कर देने की भावनाओं के साथ यह पुस्तिका सम्पादक श्री सुरेश सरल के सराहनीय प्रयास एवं परिश्रम का परिणाम हैं।
इसके विचार बिन्दु नित्य चिन्तन योग्य हैं।
महावीर जयन्ती स्मारिका 76
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