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जैनदर्शन में विश्व व्यवस्था और मुक्ति मार्ग
ले. दौलतराम जैन 'मित्र'-भानपुरा, मंदसौर लेखक का यह एक लेख है जिसे विभिन समाचार पत्रों में स्थान मिल चुका है । इसमें पड़ द्रव्य व सात तत्वों का वर्णन है जो विश्व समुच्चय की वस्तुओं और घटनाओं का स्वरूप समझने में सहायक है।
भगवान महावीर ले० श्री प्रेमचन्द दिवाकर, प्र. श्री छात्रहितकारिणी सभा,श्री गणेश दि० जैन
संस्कृत महाविद्यालय, सागर __ इस पुस्तिका में महावीर के चरित्र, प्रभाव और सामाजिक तथा राजनीतिक आदि कार्यों का आज की शैली में विवरण प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है । जिज्ञासुको निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है।
वर्धमान वर्धमान कालेज बिजनौर विद्यालय की पत्रिका महाविद्यालय की पत्रिका का यह अंक भगवान महावीर को श्रद्धांजलि अंक है । इसमें सम्पादकों ने जिस सामग्री का प्रस्तुतिकरण किया है। वह भगवान् महावीर और जैनों के बारे में बहुत कुछ जानकारी सामने रखती है । लेखों का चयन एवं सम्पादन सुन्दर है ।
कला प्रकाशन मंदिर, दिल्ली-110006
द्वारा प्रकाशित 1. जय पराजय, 2.उन्हें हम कैसे भूलें
दोनों ही पुस्तकों के लेखक विनोद विभाकर हैं जिन्हें अपनी रचनाओं पर विभिन्न साहित्य पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
__ जय-पराजय ---में 17 कहानियां दी गई हैं ये । सभी कहानिया इतिहास, पुराण और विभिन्न धर्मों से चुन कर ली गई हैं । जैनधर्म की कहानियां-यह वसुधा काहू की न भई, जय-पराजय और वीतरागी सन्त मुख्य हैं । बालकोपयोगी साहित्य है लेकिन जो भी इसे पढ़ेगा उसके मन पर अमिट छाप रहती है । मूल्य रु० 3.50 है ।
उन्हें हम कैसे भूलें-यह पुस्तक स्व. कलावती जैन के त्याग एवं सेवामय जीवन के प्रेरक प्रसंगों को लिये है। 3-18
महावीर जयन्ती स्मारिका 76
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