Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 1976
Author(s): Bhanvarlal Polyaka
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

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Page 342
________________ साहित्य-समीक्षा श्री जवरचंद फूलचंद गोधा जैन ग्रंथमाला हुकमचन्द मार्ग, इन्दौर द्वारा प्रकाशित (1) जैनधर्म ले-पं० नाथूराम डोंगरीय जैन । (2) कुलकर आर श्रमण संस्कृति ले० --श्री मिश्रीलाल जैन ।(3) बोध कथा कौमुदी ले-श्री मोतीलाल सुराना।। (1) पुस्तक में विद्वान् लेखक के समय समय पर मुद्रित लेखों का संकलन है जिनसे जैन दर्शन एवं संस्कृति पर तीन खण्डों में सामग्री दी गई है । जटिल विषय सामग्री को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक गागर में सागर है । मूल्य रु० 21 है। (2) इसमें श्राद्य सभ्यता वे सर्जक कुलकर तथा श्रमण संस्कृति के प्रर्वतक तीर्थकरों की यशोगाथा है । जैनधर्म के सिद्धांतों का प्रतिपादन आदि तीर्थकरोपदिष्ट लोकहित और जैनों की सेवाओं का उल्लेख भी इसमें किया गया है । महत्वपूर्ण सामग्री लिए हुए है और सार्वजनिक लाभ के उद्देश्य की पूर्ति करती है । मूल्य रु० 2.75 है । (3) इस बोध कथा संकलन में लेखक के अपने अनुभव, अध्ययन और संग्रह द्वारा स्वतंत्र कल्यना ना मिश्रण करते हुए सुबोध और प्राञ्जल शैली में जीवनोत्थान की प्रेरणा देने वाले रोचक हृदयग्राही संक्षिप्त कथानक संकलित किये है। इनमें से अधिकांश रचनायें समाचार पत्रों में मुद्रित भी हो चुकी हैं। उनकी लोकप्रियता के कारण ही उन्हें पुरस्कृत किया गया है । मूल्य रु० 1.50 है। - मानवता के मन्दराचल : भगवान महावीर ले० श्री जमनलाल जैन, प्र०-वर्धमान प्रकाशन, वाराणसी __ महावीर की जीवन गाथा, उनकी दृष्टि और सृष्टि, उनके उपदेशों के सार तत्व, तथा मानवता के प्रति सन्देश को अत्यन्त भावपूर्ण एवं प्रेरणाप्रद शैली में प्रस्तुत किया है । इसे लेखक ने साधना पूर्ण भावना से इस प्रकार इन अध्यायों में लिखा है कि महावीर का समग्र जीवन ही हृदयंगम हो जाता है । 60 पृष्ठीय इस पुस्तक का मूल्य दो रुपये है। महावीर जयन्ती स्मारिका 76 3-17 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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