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ऐतिहासिक महापुरुष भ० नेमिनाथ और
उनका काल-निर्णय
श्री वंद्य प्रकाशचन्द्र पांड्या' अायुर्वेदाचार्य साहित्यरत्त, भीलवाड़ा
जैन मान्यतानुसार शौरीपुर के राजा अंधक- कुमार अरिष्ट नेमि, कृष्ण और उनकी पटरानियां वृष्टि के दश पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र का नाम समुद्र- जल क्रीड़ा करते थे। विजय और सबसे छोटे का नाम वसुदेव था। भ० नेमिनाथ समुद्र विजय के पुत्र थे और श्री कृष्ण 'महाभारत' के शांति पर्व में राजा सगर को वसुदेव के। इस तरह भ० नेमिनाथ श्री कृष्ण के भ० अरिष्टनेमि द्वारा उपदेश दिये जाने का चचेरे भाई थे। इसलिए इन दोनों का समय एक उल्लेख है। 'स्कन्द पुराण' (प्रभास खंड) में भ. ही होना चाहिए। श्री कृष्ण को ऐतिहासिक पुरुष सेमिनाथ को शिव कहा है। माना जाता है, किन्तु भ० नेमिनाथ को इतिहासकार
'ऋग्वेद' में अरिष्टनेमि को आह्वान करते अभी तक ऐतिहासिक पुरुष स्वीकार नहीं करते । जैन
हुए लिखा हैसाहित्य के अतिरिक्त अन्य भारतीय साहित्य में
'तवां रथ वयद्या हुवेम स्तां अरिष्टनेमि का उल्लेख है। श्री कृष्ण महाभारत
मेरश्चिता सविताय तव्यं । काल में हुए थे और 'महाभारत' में अरिष्ट नेगि
अरिष्टनेमि परिचामियानं का उल्लेख है--
विद्यामेषं वजन जीरदानम् ॥ 'युगे युगे महापुण्यं दृश्यते द्वारिकापुरी,
ऋ० अ० २ ० ४२४ अवतीर्णो हरियाम प्रभास व शशिभूषणः । रेवताद्रौ जिनो नेमि युगादौ विपुलाचले,
यजुर्वेद अध्याय २६ में अरिष्टनेमि से ऋषीणा मां श्रमादेव मुक्तिमार्गस्य कारणं ॥
सम्बन्धित मन्त्र है -
ॐ रक्ष रक्ष अरिष्टनेमि स्वाहा' - रैवत के उद्यान में यादवों द्वारा रंगरेलियां करने का उल्लेख शास्त्रों में है। कृष्ण अर्जुन के इसके अतिरिक्त यजुर्वेद के अध्याय के मंत्र साथ मनोरंजनार्थ यहां रहे थे। इसी स्थान पर २५, सामवेद प्र० पा ६ अध्याय ३ में भी इनका
१. महाभारत-गोरखपुर पृ० १६४-१६५. २. हरिवंशपुराण-कलकत्ता पृ० ५२१. ३. 'अहिंसा-वाणी' फरवरी-मार्च १६५५ पृ० ८०-८१.
महावीर जयन्ती स्मारिका 76
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