________________
उपलब्ध महावीर - साहित्य' में महावीर सम्बन्धी चार संस्कृत रचनाएं, पांच अपभ्रंश रचनाएं और फिर हिन्दी की द्वादश रचनाओं का उल्लेख किया है परन्तु श्री अगरचंद नाहटा ( 'महावीर जयंती स्मारिका' सन् १६७२ ) ने उक्त लेख की प्रतिक्रिया में लिखित अपने निबंध 'भगवान् महावीर सम्बन्धी कतिपय प्राचीन राजस्थानी रचनाएं' में लिखा है भगवान् महावीर सम्बन्धी जितना विशाल व विविध प्रकार का साहित्य श्वेताम्बर आचार्यों व मुनियों का मिलता है, उतना दिगम्बर कवियों का नहीं मिलता । आवश्यकता है: श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों सम्प्रदायों और
1. आज का इंसान
महावीर के
क्षणिकाएँ
श्री विमल जैन
एम०कॉम०, एम० ए०, एल० एल० बी., विशारद प्राध्यापक, वाणिज्य विभाग सागर वि० वि० सागर
सिद्धांतों पर चलकर आत्मा को
Jain Education International
शुद्ध बना सकता है, और
2. महावीर - तुम्हारा संदेश
महावीर जयन्ती स्मारिका 76
हिंसा पर अहिंसा से विजय पा सकता है तभी वह
स्थानकवासी, तेरापंथी आदि उप सम्प्रदायों के महावीर सम्बन्धी समस्त साहित्य की सूची तैयार करके उनकी प्रकाशन की योजना बनाई जाए, दिगम्बर समाज की ओर से महावीर-सम्बन्धी अपभ्रंश काव्यों के प्रकाशन का तो प्रयत्न मेरी जानकारी में है, पर श्वेताम्बर साहित्य जो बहुत बड़ी संख्या में प्रकाशित है, उसके प्रकाशन की कोई योजना सामने नहीं आई । मेरे अपने संग्रह में भगवान् महावीर सम्बन्धी छोटी-छोटी करीब पांच सौ रचनाएं हैं । कई श्वेताम्बर संग्रह ग्रन्थों में महावीर सम्बन्धी छोटे-बड़े स्तवन आदि पचासों तो प्रकाशित भी हो चुके हैं ।
ग्रंथों से उतारकर
जीवो और जीने दो का नारा लगा सकता है ।
जन-जन तक पहुँचाया ।
मगर ( वह )
आज तक
किसी इंसान की चर्या में नहीं आ पाया ।
For Private & Personal Use Only
2-39
www.jainelibrary.org