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* महावीर का सन्देश * ... श्री गुलाबचन्द जैन वैद्य, ढाना भौतिकता की चकाचौंध में भ्रमित हुए जग को, महावीर स्वामी का शुभ सन्देश सुनाना है ।
नहीं जन्म से कोई, अपित, कृति से महान होता, करके हीनाचार स्वयं को देता है धोखा, जीव जगत् के सभी, आत्मवत् हैं जाने जाते, सब को पीड़ा दुःख वेदना सभी समाना है ।। १ ।।
करें परस्पर सभी प्रेम से, परहित पर उपकार, नहीं किसी को मिला, किसी के विनाश का अधिकार, किसी जीव के प्राणों से, तब क्यों खेले कोई ? यही अहिंसा सत्य प्रेम, जग में फैलाना है ।।२।।
कभी एक क्षण भी प्रमाद, में व्यर्थ नहीं खोना, रहे अछूता क्यों संयम से, जीवन का कोना ? दर्शन ज्ञान विवेक प्रगट कर, करें आत्म उत्थान, वरना फिर फिर जन्म, मरण का ताना वाना है ।।३।।
यह मानव तन पुण्य प्रकृतियों, का सुन्दर परिणाम, इसको नाहक खोना, कितनी नादानी का काम, काम क्रोध मद मोह लोभ, हैं अधःपतन के द्वार, इस स्वर्ण अवसर को खोकर फिर पछताना है ।। ४ ।।
जितना कम संभव हो, उतना रखो परिग्रह भार, अपना घर भर कर मत, छीनो औरों का अधिकार, स्वच्छ रखो मन संतोषी वन, परिहरि विषय विकार, विश्व शांति के इस प्रयोग को सफल बनाना है ।।५।।
महावीर जयन्ती स्मारिका 76
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