________________
की गयी है । श्रीमती कुथा जैन के शब्दों में ही हम कह सकते हैं : इसलिए ये रचनाएं अपनी खूबी और खामियों सहित यदि पठनीय और मंचीय दृष्टि से सफल हुई तो समांगी कि भगवान के चरणों में प्रेषित श्रद्धांजलि स्वीकृत हुई । डा० महेन्द्र भानावत के पुतली एकांकी 'चंदना की वंदना' में छः दृश्य है और महावीर के नारी- उद्धार के प्रसंग को भास्वर बनाया गया है ।
उपन्यास - साहित्य में तीर्थङ्कर महावीर :
महावीर स्वामी को लेकर निम्नलिखित उपन्यास लिखे गये हैं
(१) अनुत्तर योगी : तीर्थंङ्कर महावीर - (अ) प्रथम खण्ड - वैणाली का विद्रोही राजकुमार ( ब ) द्वितीय खण्ड - प्रसिधारापथ का यात्री - वीरेन्द्र कुमार जैन (सन् १९७४ तथा १६७५ ई० ) ।
(२) चितेरों के महावीर - 3 (सन् १९७५) ।
(३) बंधन टूटे - रूपान्तरकार : मुनि दुलहराज । (४) श्रात्मजयी - महावीर कोटिया ।
- डा० प्रेमसुख जैन
वीरेन्द्र कुमार जैन का महावीर पर लिखित 'अनुत्तर योगी' हिन्दी तो क्या भारतीय भाषात्रों का एक श्रेष्ठ उपन्यास है । उसकी भूमिका अत्यन्त प्रखर तथा विचारोत्तेजक है । उसमें अनेक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए गए हैं और उपन्यासकार ने अपनी मान्यताओं को बेलाग - दो टूक रूप में हमारे समक्ष उपस्थित कर दिया है। उन्होंने उसमें इस कथा के जन्म की कलाकार की भूमिका को सर्वथा स्पष्ट किया है ।
महावीर के जीवन और उपदेशों को सरल तथा सुबोध शैली में सजाया गया है । इसमें बत्तीस स्वतंत्र लेख भी मिलते हैं । इसमें तटस्थ वृत्ति का
महावीर जयन्ती स्मारिका 76
Jain Education International
सम्यक् निर्वाह मिलता है । इस कृति में नई पीढ़ी की प्रभावशाली प्रतिनिधित्व भावना मिलती है । यह पुरस्कृत भी हो चुकी है ।
गुजराती भाषा में वैद्य चुन्नीलाल धामी ने 'बंधन टूटे' नामक उपन्यास लिखा था जिसका सफल हिन्दी रूपान्तरण मुनि दुलह राज ने किया है। इसके तीन भाग और कुल ७५६ पृष्ठ हैं । इसमें भगवान् पार्श्वनाथ और तीर्थङ्कर महावीर स्वामी के युगीन इतिहास, मंत्रतंत्र के प्राधान्य, नगरवधू की परिपाटी और महासती चंदन वाला की रोचक गाथा का सरस विश्लेषण है ।
हिन्दी कथा-साहित्य में तीर्थङ्कर महावीर :
भगवान् महावीर के जीवन तथा सिद्धान्तों को लेकर आजकल हिन्दी में अनेक छोटी-छोटी कहानियां लिखी जा रही हैं जिन्हें 'बोध कथा' कहा जाता है । इनको प्रकाश में लाने का मुख्य श्रेय मासिक 'तीर्थङ्कर' को है । कतिपय प्रमुख कहानियां इस प्रकार हैं
(६)
(१) वर्द्धमान के जीवन में सेवा भाव - रति लाल मफाभाई शाह । ( २ ) जन्म-जन्मान्तरों का चक्र और जीव-भ्रमण यात्रा - प्राचार्य ग्रानन्द ऋषि । (३) स्वप्न, सिद्धि और सूर्योदय-डा० रांगेय राघव । ( ४ ) कैशोर्य के सोपानों पर - दीनदयाल 'कुन्दन' | (५) अभिनिष्क्रमण - श्रीचंद सुराणा 'सरस' | परिषह - विजेता- पुरुषोत्तम छंगाणी | परिषह - विजेता- देवेन्द्रमुनि शास्त्री । (5) अविचल महावीर चंदनमल 'चांद' । (६) दिव्यदानराजेन्द्र नगावत । (१०) उमेशमुनि 'अनु- गर्भस्थ महावीर ' ( ११ ) अगरचंद नाहटा भगवान् महावीर के स्थिरीकरण का एक भव्य प्रसंग । महान् चितक जैनेन्द्र कुमार ने अपनी कतिपय कहानियों में जैन तत्व तथा महावीर को प्रथम बार आधुनिक आलोक में उपस्थित किया है ।
(७)
For Private & Personal Use Only
2-31
www.jainelibrary.org