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भक्तिकाल में तीर्थङ्कर महावीर :
'वर्द्धमान चरित्र' लिखा। ___भक्तिकाल (सम्बत् १३१५ से १७०६) में
प्राधुनिक काल में तीर्थङ्कर महावीर : अनेक जैन कवियों के पद-साहित्य में महावीर स्वामी
___ अाधुनिक काल में श्रमण तीर्थङ्कर महावीर की स्तुति गायी गयी है। बनारसीदास, पाण्डेय
को लेकर शताधिक रचनाएं लिखी गयी। हम रूपचन्द, जगजीवन, भैया भगवतीदास, भूधरदास,
उनका अनुशीलन निम्न उप-शीर्षकों के अन्तर्गत कर द्यानतराय, दौलतराम कासलीवाल, टोडरमल,
सकते हैंजयचंद छाबड़ा, सदासुख कासलीवाल आदि यद्यपि भक्तिकाल की सीमा-रेखाओं को अतिक्रमित कर (क) प्रबंध काव्यों में तीर्थङ्कर महावीर : जाते हैं परन्तु उनका मूल काव्य-विषय भक्ति ही सम्पूर्ण हिन्दी वाङमय में भगवान महावीर था इसलिए वे भक्तिधारा के सृष्टा के रूप में यहां स्वामी के जीवन को मुख्य प्रतिपाद्य विषय बनाकर चिरवन्दनीय हैं। इन सबने चौबीस तीर्थङ्करों के निम्नलिखित प्रबंध काव्य लिखे गये -- अन्तर्गत अंतिम तीर्थङ्कर महावीर का स्तवन किया है और श्रेष्ठ पद-साहित्य की रचना की है । डा०
१. महाकाव्य :
(१) 'वद्ध मान पुराण'-कविवर कस्तूरचंद कासलीवाल द्वारा सम्पादित ग्रंथ 'प्रशस्ति
नवलशाह संग्रह' तथा 'हिन्दी पद संग्रह' में महावीर विषयक
(सम्वत् १८२५)। अनेक पद मिलते हैं।
(२) 'वर्द्धमान'-अनूप शर्मा (सन् १९५१) ।
(३) 'वीरायण'-मूलदास मोहनदास नीमावत सम्वत् १६०० के आसपास पद्म कवि ने
(सन् १९५२)। 'महावीर' काव्य लिखा था जो कि अभी तक
(४) 'परम ज्योति महावीर'-धन्यकुमार जैन अप्रकाशित है।
'सुधेश' (सन् १९६१)। रीतिकाल में तीर्थङ्कर महावीर :
(५).'तीर्थङ्कर भगवान् महावीर'-वीरेन्द्र कुमार रीतिकाल (सम्वत् १७०० से १६०० तक) में जैन (सम्वत् २०१६) । यद्यपि पचास-साठ जैन कवि हुए परन्तु इस काल में
(६) 'तीर्थङ्कर श्री वर्धमान'-यति मोतीहंस जी राजुल-नेमिनाथ की कथा को सर्वाधिक लोकप्रियता
(सम्वत् २०१६) । मिली। इस काल के प्रसिद्ध बेलि-काव्य में 'वीर
(७) 'महावीर'-श्री हरिजी (अप्रकाशित)। चरित्र बेलि' (ज्ञान उद्योत) उल्लेखनीय है । विवा
(८) 'विश्वज्योति महावीर'-श्री गणेश मुनि हलो काव्य में 'महावीर विवाह लो' चचित है । 'महावीर जी को नखशिख' (मान १७६० के लग
(सन् १९७५)। भग) प्रसिद्ध नख-शिख काव्य है ।
(६) 'वीरायण'-रघुवीर शरण 'मित्र' ( सन्
१९७५)। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में ग्वालियर निवासी (१०) 'तीर्थकर महावीर'-डा० छैलबिहारी गुप्त पण्डित भागचंद यद्यपि हिन्दी के कवि और मर्मज्ञ
'राकेश' (सन् १९७५) । विद्वान् थे परन्तु उन्होंने संस्कृत में 'महावीराष्टक' ।
२. खण्ड काव्य : लिखा था।
(१) 'विराग'-धन्यकुमार जैन 'सुधेश' (सम्वत् इसी काल में ही नवलराय खण्डेलवाल ने २००७) ।
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महावीर जयन्ती स्मारिका 76
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