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शरण 'मित्र' ने २५०० वें महावीर निर्वाणोत्सव जिसे दिल्ली के पन्नालाल जैन आर्किटेक्ट ने हाल ही की एक अपूर्व स्मृति तथा सम्पूर्ति के रूप में, में प्रकाशित किया है । भगवान् महावीर के मार्मिक जीवन-प्रसंगों पर अप्रतिम महाकाव्य 'वीरायण' लिखा है। इसे मेरठ ,
वीरेन्द्रकुमार जैन की महावीर पर स्फुट काव्य की वीर निर्वाण भारती ने प्रकाशित किया है। १
है की लघु पुस्तिका है। कवि ने इस काव्य को अथक परिश्रम से भगवान के
लक्ष्मणसिंह चौहान 'निर्मम' ने मुक्त छंद में जन्म, तप और निर्वाण-स्थलों की खोजपूर्ण यात्राओं महावीर पर लघु पुस्तिका लिखी है। से प्राप्त तथ्यों, साक्ष्यों और प्रमाणों के आधार पर तैयार किया है।
मुनि श्री कन्हैयालाल का 'महावीर-चालीसा'
'जैन भारती' के 'भगवान् महावीर २५०० वां हाल ही में उज्जैन के डा० छैल बिहारी गुप्त ।
हारा गुप्त निर्वाण महोत्सव-विशेषांक' में प्रकाशित हुआ है। 'राकेश' ने महावीर पर एक महाकाव्य लिखा है जो कि अभी अप्रकाशित है।
इस प्रकार मुनि श्री नवरत्नमल की 'दोहावली'
भी इसी विशेषांक में प्रकाशित हुई है जिसे मोतीइस प्रकार भगवान् महावीर पर हिन्दी में जानना
म लाल कोठारी ने सम्पादित किया है। लिखित दस महाकाव्यों का पता चलता है ।
महावीर-काव्य को जैन साध्वियों को देन : खण्ड काव्य में तीर्थङ्कर महावीर :
जैन साध्वियों ने महावीर पर सुन्दर और सरस धन्य कुमार जैन 'सुधेश' का 'विराग' नामक खण्ड
रचनाएं हिन्दी को प्रदान की हैं। उनमें साध्वी श्री काव्य पांच सर्गों का है जिसे भारतीय दिगम्बर जैन
प्रानन्द, साध्वी श्री जतन कुमारी, साध्वी श्री कानसंघ, मथुरा ने प्रकाशित किया।
कुमारी, साध्वी श्री विनयवती, साध्वी श्री भीखां, स्फुट काव्य में तीर्थंकर महावीर :
साध्वी श्री कला श्री आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। हिन्दी वाङमय में महावीर को लेकर लिखे इन्होंने स्फुट काव्य में महावीर स्वामी का स्तवन गये स्फुट काव्य की सूची बनाना दुष्कर कार्य है। किया है। साध्वी श्री अणिमाश्री की महावीर-गीतिका
में वन्दे महावीर का स्वर अनुकरणीय है । धन्यकुमार जैन 'सुवेश' ने अपने लघु काव्य 'वीरायण' को राधेश्याम-रामायण की तर्ज पर महावीर-काव्य को मुस्लिम कवियों की देन : बनाया और उसके दो संस्करण प्रकाशित हो चुके हिन्दी में कतिपय मुस्लिम कवियों ने महावीर
साहित्य के सृजन तथा उन्नयन में विशेष योगदान श्वेताम्बर जैनाचार्य विद्याचन्द्र सूरि के सचित्र
दिया है । तीर्थङ्कर महावीर के सन्दर्भ में नईम के काव्य में २५१ पद्य हैं और इसे शीघ्र ही प्रकाशन
तीन नवगीत दृष्टव्य हैं। नईम ने नवीनतम काव्य
विधा नवगीत के माध्यम से महावीर को वर्तमान का आलोक मिलने वाला है ।
सन्दर्भो में अनुस्यूत करने का सफल प्रयास किया है। पन्नालाल जैन का महावीर सम्बन्धी काव्य भी
राजस्थान के एक कृषक-कवि बशीर अहमद सचित्र रूप में प्रकाशित हो चुका है।
'मयूख' ने श्रमण-सूक्तों के अनुवाद कर 'अर्हत' कमलकुमार 'कुमुद' के काव्य में २४६ पद्य हैं नामक ग्रंथ प्रकाशित किया है । 2-28
महावीर जयन्ती स्मारिका 76
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