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महावीर सन्देश सुनें तो संकट पास न आयें
.श्री कल्याणकुमार जैन 'शशि' रामपुर (उ० प्र०)
वोर पंथ पर चलें, मिले विपदाओं से छुटकारा निर्मल भावों भरी बहाओं प्रेम पूर्ण जल धारा मुक्ति मिलेगी ब्रह्मचर्य चारित्र अहिंसा द्वारा जिसने बांह धर्म की पकड़ी उसको मिला किनारा
जीवन उपवन को महकाता धार्मिक पुण्य पराग है । सबसे बड़ा धर्म मानव का हिंसा का परित्याग है ।।
हिंसक मन के क्रियाकाण्ड भ्रम मूलक दिखलावे हैं ऐसी भ्रष्ट क्रियाएं, ज्वालामुखियों के लावे हैं सम्यक् दर्शन, ज्ञान चरित तक यह न पहुँच पाते हैं रथ आगे बढ़ जाता है, हम पीछे रह जाते हैं
वीतराग अविकार दिशा है अति असार अनुराग है । सबसे बड़ा धर्म मानव का हिंसा का परित्याग है ।।
अनुचित संग्रह, परिग्रही के, मन की जिज्ञासा है विश्व हड़पने की अन्तर में पनप रही प्राशा है राग, द्वेष, छल, कपट, घृणा से, यदि जीवन प्यासा है तो सन्मति वाणी में यह, हिंसा की परिभाषा है..
इसमें गहित राग भेद है. किंचित नहीं विराग है । सबमें बड़ा धर्म आराधन हिंसा का परित्याग है ।।
नर भव पाया है तो उसको, सार्थक कर दिखलाएं अदया क्रूर अमानवीयता, इसका दर्प घटाएं दया अहिंसा का धार्मिक पथ, इसे सदा दुलरायें महावीर सन्देश सुनें तो संकट पास न आयें
जितना धर्म शील जीवन, सार्थक उतना अनुभाग है । सब से बड़ा धर्म आराधन हिंसा का परित्याग है ।।
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__ महावीर जयन्ती स्मारिका 76
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