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भगवान कुन्युनाय
१७९ भाविता मादि६०३५० आपिकायें थीं। ३००००० श्राविकायें थी और २००००० श्रावक थे। मसंख्यात देव. देवियां और संख्यात तिथंच थे।
परिनिर्वाण-भगवान धर्मोपदेश करते हुए अनेक देशों में धर्म विहार करते रहे। जब उनकी प्रायु में एक मास शेष रह गया तो भगवान सम्मेदशिखर पधारे। वहां उन्होंने एक हजार मुनियों के साथ प्रतिमा योग धारण कर लिया और वैशाख शुक्ला प्रतिपदा के दिन रात्रि के पूर्व भाग में कृत्तिका नक्षत्र का उदय रहते हुए समस्त कौ का नाश कर सिद्ध बुद्ध मुक्त हो गये।
यम-यक्षिणी-मापका सेवक गन्धर्व यक्ष और जया यक्षिणी थी।