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भगवान मल्लिनाथ
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भगवान मल्लिनाथ की जन्म नगरी मिथिला-मिथिला नगरी उन्नीसवें तीर्थकर मल्लिनाथ और इक्कीसवें तीर्थकर नमिनाथ की जन्म नगरी है। यहाँ दोनों तीर्थंकरों के गर्भ,जन्म, दोक्षा और केवलज्ञान कल्याणक हुए थे। इसलिए यह भूमि तीर्थभूमि है।
यहाँ पनेक सांस्कृतिक और पौराणिक घटनायें घटित हुई हैं।
-मिथिला नरेश पदमरथ भगवान वासुपूज्य के गणधर सुधर्म का उपदेश सुनकर संसार से विरक्त हो गया। यह वासुपूज्य भगवान के चरणों में पहुँचा । वहां मुनि दीक्षा ले ली। मुनि पद्मरथ भगवान के गणधर बने। उन्हें अवधिज्ञान और मनःपर्यय ज्ञान हो गया। पश्चात उन्हें केवलज्ञान प्रगट हो गया और अन्त में वे मुक्त हो गए।
-जब हस्तिनापुर में अपनाचार्य के संघ पर बलि आदि मंत्रियों ने घोर उपसर्ग किया, उस समय मुनि विष्णुकुमार के गुरु मिथि ना में ही विराजमान थे । उन्होंने क्षुल्लक पुष्पदन्त को घरणीघर पर्वत पर मुनि विष्णु कुमार के पास उपसर्ग निवारण के लिए भेजा। गुरु के आदेशानुसार मुनि विष्णुकुमार ने हस्तिनापुर में जाकर मुनि संध का उपसर्ग दूर किया।
-मिथिला का राजा नमि मुनि बन गया। किन्तु तीन बार भ्रष्ट हुआ। फिर वह शुद्ध मन से मुनि-व्रत पालने सपा : एक बार एक गांव में तीन अन्य मुनियों के साथ एक अवा के पास ध्यान लगाकर खड़ा था । कुम्हार आया और उसने प्रया में आग सुलगाई। आग धू-धू करके जल उठी। चारों मुनि उसी में जल गये। बेशुद्ध भावों से श्रेणी प्रारोहण करके मुक्त हो गए।
-इसी नगर में राजा जनक हुए। उनकी पुत्री सीता थी जो संसार को मतियों में शिरोमणि मानी जाती हैं। जनक नाम नहीं, वह तो एक पदबी थी। सीता के पिता का नाम सीरध्वज जनक था।
इस वंश का अन्त कराल नामक जनक राजा के काल में हुआ। बौद्ध ग्रंयों और कौटिलीय अर्थशास्त्र के अनुसार उसने एक ब्राह्मण कन्या के साथ बलात्कार किया था। इससे प्रजा भड़क उठी। उसने राजा को मार डाला। उस समय इस राज्य में सोलह हजार गांव लगते थे। इसके पश्चात् वहाँ राजतन्त्र समाप्त हो गया। जनता ने स्वेच्छा से गणतन्त्र को स्थापना की, जिसे विदेह गणतन्त्र कहा जाता था। इसे बज्जी संघ भी कहा जाता था। कुछ काल के पश्चात् वैशाली का लिच्छवि संघ और मिथिला का बज्जी संघ पारस्परिक सन्धि द्वारा मिल गये और दोनों का सम्मिलित संध बज्जी संघ कहलाने लगा। तथा बज्जी संघ के अधिपति राजा चेटक को संयुक्त संघ का अधिपति मान लिया । इस संघ की राजधानी मिथिला से उठकर वैशाली में आ गई। यह नया वैशाली गण अत्यन्त शक्तिशाली बन गया। इन्हीं राजा चेटक की पुत्री त्रिशला से भारत को लोकोत्तर विभूति भगवान महावीर का जन्म हमा। वैशाली गणसंघ का धर्म जैन धर्म था। इस संघ का विनाश धेणिक बिम्बसार के पुत्र अजातशत्र ने किया। अजातशत्रु महारानी चेलना का पुत्र था । चेलना चेटक की सबसे छोटी पुत्री थी । इस प्रकार वैशाली अजातशत्रु की ननसाल थी।
___मिथिला क्षेत्र कहाँ था, आज इसका कोई पता नहीं है। वर्तमान जनकपुर प्राचीन मिथिला को राजधानी का दुर्ग है । पुरनलिया कोठी से ५ मील दूर पर सिमरानो नामक स्थान पर प्राचीन मिथिला नगरी के चिह्न अब तक मिलते हैं । नन्दनगढ़ के टोले से चाँदी का एक सिक्का मिला था, जो ईसा से १००० वर्ष पूर्व का बताया जाता है। लगता है, मिथिला तीर्थ यहीं कहीं पास पास में था।
यहाँ पहुँचने का मार्ग इस प्रकार है-सीतामढ़ी से जनकपुर रोड स्टेशन रेल द्वारा। वहाँ से जनकपुर २४ मोल बस द्वारा। सीतामढ़ी या दरभंगा से नेपाल सरकार की रेलवे के जयनगर स्टेशन जा सकते हैं। वहाँ से उक्त रेलवे द्वारा जनकपुर १८ मील है।