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ब्रह्मचर्य]
[१०५ त्पाहार शायद ऐसी ही किसी प्रथाका भग्नावशेष है और यहाँकी कुमारियोंको तो न्यभिचारकी पूरी छुट्टी है। वे वेश्यावृत्ति से पहिले धन कमाती हैं, फिर उसी धनसे अपना विवाह करती हैं।
रेडकारेन लोग स्त्री-पुरुष के अभेद समागमका खूब समर्थन करते हैं। अगर उनको कोई इस प्रथा की बुराई बतावे तो बापदादोंकी दुहाई देकर चे इसका समर्थन करते हुए कहते हैं कि-वाह ! यह तो पुरानी रीति है । क्या हमारे पुरखा मूर्य थे !
__ अपर कौंगो, टहीटी, मैकरोनेशिया, कण्ट्रोन, और पल्यूिद्वीप रहनेवाली जातियों में अपनी बहिन-बेटी को थोड़े धन के लिये चाहे जिसके हवाले कर देते हैं । इससे न तो उनकी इज्जतमें बट्टा लगता है न उस कुमारी के विवाहमें कुछ अड़चन पैदा होती है।
वेटियाक लोगोंमें किसी कुमारीकी सबसे बड़ी शोभा यही है कि वह बहुनसे युवकोंसे फंसी हो । उसके पीछे अगर युवकोंका झुंड नहीं चलता तो उसके लिये यह अपमानकी बात है। अगर कुमारी अवस्थामें ही उसके बच्चा पैदा हो जाय तो इससे उसका सन्मान और भी बढ़ता है । इससे वह श्रमन्त घराने में वित्राही जाती है और उसके पिताको लव धन भी मिलता है।
चिपचा जातिके किसी पुरुषको अगर यह मालूम होजाय कि उसकी पत्नी का कुमारावस्था में किसी भी पुरुष के साथ सम्बन्ध नहीं था तो वह इसलिय अपन भाग्यको कोसने लगता है कि उसकी स्त्री इतनी तुच्छ है कि वह किसी भी पुरुषको आकर्षित न कर सकी।
प्राचीन जापानियों में यह रिवाज था कि पिता का ऋण चुकाने के लिये स्त्री व्यभिचारसे धन पैदा करती थी। और जब