Book Title: Jain Dharm Mimansa 03
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 356
________________ ३४८ ] ७ सचित्ताहार वर्जन ८ स्वयमारम्भवर्जन ९ प्रेष्यारम्भवर्जन १० उद्दिष्टभक्त वर्जन ११ श्रमणभूतप्रतिमा [ जैनधर्म-मीमांसा नवविधब्रह्म सचित्तवर्जन परिमहत्याग ब्रह्मचर्य आरम्भत्याग परिग्रहत्याग अनुमतित्याग भोजनमात्रानुमोदन त्याग अनुमतित्याग पहिला पाठ श्वेताम्बर सम्प्रदाय में सर्वमान्य है । दूसरा तीसरा पाठ दिगम्बर सम्प्रदायका हैं, परन्तु तीसरा न तो प्रचलित है और न प्रसिद्ध ही है | इसका विधान सोमदेवसूरि ने अपने" यशतिलक * में किया है । इसके अतिरिक्त छुट्टी प्रतिमा के विषय में एक चौथा गठ भी है । समन्तभद्र आदि आचार्यों ने इस प्रतिमा का नाम रात्रिभुतित्याग अर्थात् रात्रि में चारों प्रकार के आहार का त्याग, रक्खा है; जब कि सोमदेव आशाधर आदि ने इसका नाम रात्रिभुक्तत्रत * मूलवतं व्रतान्यर्चा पर्वकमा कृषि किया। दिवा नवाबधं ब्रह्म सचित्तस्य विवर्जनम् ॥ परिग्रह परित्याग भुक्तिमात्रानुमान्यता | वृद्धानां च वदन्त्येतान्यकाश यथाक्रमम् ॥ अवधित्रतमारोहे पूर्व पूर्वव्रत स्थितः । सर्वत्रापि समा प्रोक्ता ज्ञानदर्शनभावनाः || गृहिणी ज्ञेया त्रयः स्युब्रह्मचारिणः । भिक्षुका द्वौ तु निर्दिष्ट ततः स्यात्सर्वतो यतिः ॥ अन्नं पान खायं यं नाश्राति यो विभावयम | स च रात्रिभुक्तिविरतः सत्त्वेष्वनुकम्पमानमनाः । -रत्न क० श्रा० ५-२१।

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